व्लादिमीर पुतिन ने रूस के परमाणु हथियारों को अलर्ट पर रखने का ऐलान किया है। यह गंभीर चेतावनी है या फिर पैंतरेबाजी? जानिए क्या कहते हैं सुरक्षा विशेषज्ञ। यूक्रेन में छिड़ी भीषण लड़ाई और लाखों लोगों के विस्थापन के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार कमांड को एक्टिव करने की चेतावनी दे डाली है। रविवार को टेलीविजन पर देश को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि मैंने रक्षा मंत्री और रूसी सेना के प्रमुख को आदेश दिया है कि वे रूसी सेना की प्रतिरोधी ताकत को लड़ाई के लिए तैयार स्पेशल मोड में रखें।
पुतिन जिस प्रतिरोधी ताकत का जिक्र कर रहे हैं, वह परमाणु ताकत है। अमेरिका और नाटो ने पुतिन की इस बयान को भड़काऊ और गैरजिम्मेदार करार दिया है। अमेरिकी चैनल सीएनएन से बात करते हुए नाटो महासचिव जनरल येंस स्टॉल्टेनबर्ग ने पुतिन के बयान को खतरनाक किस्म का भाषण करार दिया।
बढ़ते तनाव के इस माहौल में पुतिन के बयान का क्या मतलब निकाला जाए या फिर इसे कितनी गंभीरता से लिया जाए, यह एक बड़ा सवाल है। हैंस क्रिस्टनसन, फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स में न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हैं। एक ई-मेल के जरिए उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि इसमें किस स्तर की चेतावनी छुपी है।
क्रिस्टनसन लिखते हैं कि इस बात की आशंकाएं जताई जा रही हैं कि इसके जरिए न्यूक्लियर कमांड और कंट्रोल सिस्टम को परमाणु हथियार हमले के आदेश का पालन करने के लिए और ज्यादा तैयार रखा जाएगा। कुछ रिपोर्टें यह भी बता रही है कि मिसाइल दागने वाली पनडुब्बियों की गतिविधि तेज हुई है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि ये गतिविधि असामान्य है।
विशेषज्ञों को लगता है कि पुतिन दुनिया को रूस की परमाणु ताकत का अहसास करा रहे हैं। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, ऐसे माहौल में पुतिन परमाणु हथियारों की बात कर मॉस्को की शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। क्रिस्टनसन लिखते हैं कि पुतिन पश्चिम को डराकर कुछ रियायत हासिल करना चाहते हैं। यह उनकी टिपिकल ब्रिंकमैनशिप है। राजनीति की भाषा में 'ब्रिंकमैनशिप' का अर्थ ऐसी रणनीति से है जिसमें टकराव को इतना बढ़ा दिया जाए कि दोनों पक्ष समाधान खोजने पर मजबूर हो जाएं या फिर एक पक्ष बिल्कुल समर्पण कर दे।
स्विट्जरलैंड में जेनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के प्रमुख मार्क फिनौड को लगता है कि परमाणु हथियारों की धमकी, यूक्रेन में पुतिन की नाकामी को दर्शा रही है। डीडब्ल्यू से बात करते हुए फिनौड ने कहा कि पुतिन ने यूक्रेन में जिस तरह के सैन्य हालात की कल्पना की थी, हकीकत वैसी नहीं है। शायद यही वजह है कि रूसी राष्ट्रपति को अपने देश की परमाणु ताकत प्रदर्शित करने की जरूरत पड़ी।
यूरोप में अमेरिकी सेना के कमांडिंग अफसर रह चुके रिटायर्ड जनरल बेन हॉजेज, पुतिन के बयान से बिल्कुल नहीं चौंके हैं। हॉजेज कहते हैं कि जाहिर है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी देने के लिए उन्हें कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी। डीडब्ल्यू से बात करते हुए हॉजेस ने यह भी कहा कि परमाणु हमला करना बिल्कुल दूसरी बात है कि अगर बहुत ही खराब आकलन कर उन्होंने परमाणु हथियार तैनात भी किए, फिर चाहे वो बड़े हों या छोटे, पुतिन और रूस को इसकी कीमत सबकुछ देकर चुकानी होगी।
परमाणु हमला करवा सकते हैं ये 4 कारण
न्यूक्लियर कमांड को कॉम्बैट सर्विस के स्पेशल मोड पर रखना, पुतिन की इस आदेश का एक अर्थ यह है कि रूस परमाणु युद्ध घोषित करने से सिर्फ एक कदम दूर है। 2020 में पुतिन ने ऐसे 4 कारणों को स्वीकृति दी थी, जब परमाणु हथियार इस्तेमाल किए जाएंगे। ये कारण हैं- रूस या उसके सहयोगी के क्षेत्र में बैलिस्टिक मिसाइल से हमला, शत्रु द्वारा परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, रूस के परमाणु हथियार ठिकानों पर हमला या ऐसा हमला जो रूस के अस्तित्व के लिए खतरा बने।
यूक्रेन युद्ध फिलहाल इन चार कारणों से दूर है। क्रिस्टनसन कहते हैं, अगर पुतिन वाकई परमाणु हमले की योजना बनाते हैं तो हम देखेंगे कि सारी मोबाइल मिसाइलें जमीन पर तैनात कर दी जाएंगी और सारी पनडुब्बियों को समंदर में जाने का आदेश दिया जाएगा। यह भी दिखेगा कि सारे बम्बर विमान हथियारों से लैस कर दिए जाएंगे और न्यूक्लियर नॉन स्ट्रैटजिक फोर्सेस सक्रिय हो जाएंगी।
यूक्रेन के पास परमाणु हथियार नहीं हैं। वह नाटो का हिस्सा भी नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावना बहुत कम है कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकता है। फिनौड कहते हैं कि अगर लक्ष्य यूक्रेन को लेना है तो रूस ऐसे इलाके पर कब्जा क्यों करना चाहेगा जो रेडियोएक्टिव कचरे से भरा पड़ा हो।
कब रुकेंगे पुतिन?
जर्मनी की रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लामब्रेष्ट को लगता है कि पुतिन की धमकी एक किस्म की पैंतरेबाजी है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इसकी अनदेखी की जाए। जर्मनी से सरकारी रेडियो स्टेशन डॉयचलांडफुंक से बात करते हुए जर्मन रक्षा मंत्री ने कहा कि इसके बावजूद, हमने देखा है कि पुतिन कितना चौंका सकते हैं और इसी वजह से अभी हमें बहुत आगाह रहने की जरूरत है।
जेनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के प्रमुख मार्क फिनौड भी ऐसी ही मशविरा दे रहे हैं। फिनौड के मुताबिक अमेरिका ने इस चेतावनी का जवाब जैसे को तैसा की तरह नहीं दिया। अमेरिका ने अपना अलर्ट लेवल नहीं बढ़ाया बल्कि एक सामान्य सी प्रतिक्रिया दी। सिक्योरिटी एक्सपर्ट की नजर में यह बहुत अच्छा संकेत है।
फिनौड आगाह करते हुए कहते हैं कि हमने देखा है कि कुछ ही दिनों के भीतर पुतिन ने कैसे एक के बाद एक कई लाल लकीरें पार की हैं। और हर बार हम यही सोचते रहे कि वे इसके आगे नहीं जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वे आगे बढ़े, हमने सोचा कि अरे तो एक और झटका है, लेकिन आगे वह तार्किक रहेंगे और रूस के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ नहीं जाएंगे, लेकिन वह हर बार और आगे बढ़े। इसीलिए अभी यह कल्पना करना बहुत मुश्किल है कि वह कहां रुकेंगे।