भारत के रूसी तेल खरीदने पर यूक्रेन को नहीं है आपत्ति

DW
शनिवार, 30 मार्च 2024 (10:19 IST)
चारु कार्तिकेय
भारत के दौरे पर आए यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा यूक्रेन और भारत के रिश्तों में बदलाव देख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि पहले भारत रूस के साथ ज्यादा काम कर रहा था और यूक्रेन के साथ कम, लेकिन स्थिति अब बदल गई है।
 
कुलेबा भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर दो दिनों की यात्रा पर भारत आए हुए हैं। गुरुवार को उन्होंने राजघाट पर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। आधिकारिक कार्यक्रम शुरू होने से पहले उन्होंने कई मीडिया संगठनों को साक्षात्कार भी दिए।
 
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से बातचीत में कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन युद्ध खिंचता जा रहा है और आकाश में रूस के वर्चस्व के बावजूद समुद्र में यूक्रेन रूस से आगे है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब यूक्रेन के पास पर्याप्त एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमान आ जाएंगे तब आकाश में भी उसका दबदबा होगा।
 
यूक्रेन भारत-रूस सहयोग के खिलाफ नहीं
कुलेबा ने इस बात पर संतुष्टि जताई कि अमेरिका और यूरोपीय देशों से अभी भी यूक्रेन को समर्थन और मदद मिल रहे हैं। उन्होंने भारत के प्रति उम्मीद जताते हुए यह भी कहा कि हमें ऐसे कदम और क्षेत्र तलाशने हैं जिनमें भारत अपनी साख और शक्ति का इस्तेमाल कर दूसरे देशों का नेतृत्व कर पाएगा।
 
भारत के रूस से तेल खरीदने पर उन्होंने कहा कि भारत रूसी तेल खरीद तो रहा है लेकिन जिन रुपयों से वो यह तेल खरीद रहा है वो रूस की अर्थव्यवस्था तक पहुंच नहीं रहे हैं और यह अच्छी बात है।
 
कुलेबा ने समझाया कि यूक्रेन भारत और रूस के बीच सहयोग के खिलाफ नहीं है, लेकिन यूक्रेन हर उस चीज के खिलाफ है जो रूस को वो पैसे कमाने में मदद करती है जिसे वो फिर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में लगाता है।
 
उन्होंने यह भी कहा कि पहले भारत रूस के साथ ज्यादा काम कर रहा था और यूक्रेन के साथ कम लेकिन यह स्थिति अब बदल गई है। इसका सबूत उस बातचीत में है जो दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई है और उनकी भारत यात्रा भी इसी बात का सबूत है।
 
क्या है भारत से उम्मीद
एनडीटीवी को दिए एक अन्य साक्षात्कार में कुलेबा ने कहा कि "भारत दुनिया में एक बहुत महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और यूक्रेन में न्यायोचित और स्थायी शांति की बहाली के लिए हमें उसकी जरूरत है।"
 
भारत-रूस संबंधों पर उन्होंने कहा कि यह रिश्ता सोवियत संघ की विरासत पर आधारित है लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि इस संबंध का कोई भविष्य है। इसमें उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें लगता है कि भारत-यूक्रेन संबंधों का ज्यादा उज्जवल भविष्य है।
 
जब उनसे एक स्पष्ट सवाल पूछा गया कि मौजूदा स्थिति में यूक्रेन भारत से क्या अपेक्षा रखता है तो उन्होंने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ से और देशों को साथ लाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
 
कुलेबा ने एनडीटीवी को बताया, "अगर भारत शांति वार्ता की मेज पर बैठता है, जो युद्ध के कूटनीतिक समाधान के लिए यूक्रेन द्वारा की गई एक पहल है, तो उसके बाद कई देश भारत के बगल में बैठने में काफी ज्यादा सुरक्षित और सहज महसूस करेंगे और आकर इस कोशिश से जुड़ेंगे।"

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