यहूदियों के प्रति घृणा फैलाते धुर दक्षिणपंथी और वामपंथी
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019 (13:57 IST)
प्रतीकात्मक चित्र
यहूदी जनसंहार देखने वाले इतिहासकार जाउल फ्रीडलैंडर ने जर्मन सदन को संबोधित करते हुए दक्षिणपंथी और वामपंथी कट्टरपंथियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने दोनों धड़ों को यहूदियों के प्रति घृणा फैलाने का जिम्मेदार ठहाराया।
जर्मन संसद बुंडेसटाग में नाजी काल के पीड़ितों की स्मृति में हर साल एक वार्षिक सत्र होता है। इस बार इस्राएल के इतिहासकार और हिटलर की तानाशाही के दौरान यहूदी जनसंहार (होलोकॉस्ट) के गवाह रहे जाउल फ्रीडलैंडर ने सत्र को संबोधित किया। उनका भाषण सोचने पर मजबूर करने वाला था। उन्हें सुनने के लिए जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और चांसलर अंगेला मैर्केल जैसे मेहमानों वाला सदन पूरी तरह भरा था।
86 साल के फ्रीडलैंडर ने जर्मन भाषा में भाषण दिया। 1930 के दशक में प्राग में बड़े हुए फ्रीडलैंडर की जर्मन मातृभाषा हुआ करती थी। वहां हिटलर की सेना पहुंच गई। उनका परिवार भागकर फ्रांस गया। फ्रीडलैंडर को बचाने के लिए परिवार ने उन्हें एक कैथोलिक बोर्डिंग स्कूल में छुपा दिया। वह आखिरी मौका था जब फ्रीडलैंडर ने अपने परिवार को देखा। बच्चे को स्कूल में छुपाने के बाद माता पिता ने खुद को एक अस्पताल में छुपाने की कोशिश की।
जर्मन संसद के चैम्बर में उन पलों को याद करते हुए फ्रीडलैंडर ने कहा, "मैं स्कूल से भाग गया और अस्पताल में मैंने अपने अभिभावकों को ढूंढ लिया। उन्हें मुझे वापस भेजना पड़ा। वे कैसा महसूस कर रहे होंगे, वे देख रहे थे कि छोटा लड़का उनके साथ रहने के लिए पूरी जान लगाकर लड़ रहा था। उसे कमरे से बाहर कर दिया गया। वह हमारी आखिरी मुलाकात थी।"
फ्रीडलैंडर के परिवारजनों को 1942 में स्विस पुलिस ने सीमा पार करते हुए पकड़ लिया। फ्रीडलैंडर तब नौ साल के थे। उन्हें नाजियों ने "ट्रांसपोर्ट नंबर 40" के जरिए आउशवित्स भेज दिया। फ्रीडलैंडर ने कहा, "मैं अकसर खुद से यही पूछता था कि क्या उन तीन दिनों की नर्क जैसी यात्रा के दौरान मेरे माता पिता साथ थे? अगर वे साथ थे तो उन्होंने एक दूसरे से क्या कहा होगा? वे क्या सोच रहे होंगे? क्या उन्हें पता था कि कौन सी चीज उनका इंतजार कर रही है?"
फ्रीडलैंडर के पिता बीमार थे। माना जाता है कि यातना केंद्र आउशवित्स में पहुंचते ही उन्हें गैस चैम्बर में डालकर मार दिया गया। उनके साथ ट्रेन में और 638 लोग थे। फ्रीडलैंडर की मां तीन महीने ज्यादा जी सकीं। लेकिन इस दौरान उन्होंने एक गुलाम के तौर पर काम किया। ट्रांसपोर्ट 40 के जरिए ढोए गए लोगों में 200 बच्चे भी थे। 1945 में जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ तो उनमें से सिर्फ चार जिंदा मिले।
दक्षिणपंथ और वामपंथ में यहूदी के प्रति घृणा
बोर्डिंग स्कूल में छुपे रहने के दौरान फ्रीडलैंडर ने कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया। 1948 में इस्राएल की स्थापना के पांच हफ्ते बाद वह वहां गए और वहीं बस गए। बाद में वह दुनिया में होलोकॉस्ट के प्रमुख इतिहासकार बने। उनका काम इतिहास की दो किताबों में दर्ज है। पहली किताब "नाजी जर्मनी एंड द ज्यूज" 1997 में प्रकाशित हुई। दूसरी पुस्तक "द ईयर्स ऑफ एक्सटर्मिनेशन" 2007 में छपी।
फ्रीडलैंडर ने अपने भाषण में यहूदी घृणा के नए उभार के प्रति भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ ऐसे दौर में हो रहा है जब दक्षिणपंथी और वामपंथी कट्टरपंथी इस्राएल के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, "आज भी यहूदियों के प्रति घृणा उतनी ही बेतुकी है जितनी वह हमेशा रही है। साजिश के नए और पुराने शिगूफे फिर फैलाए जा रहे हैं, खास तौर पर धुर दक्षिणपंथी के बीच।" फ्रीडलैंडर के मुताबिक दूसरी तरफ धुर वामपंथी हैं "जो अपनी घृणा को जायज ठहराने के लिए सनकियों की तरह इस्राएली राजनीति की आलोचना करते हैं और इस्राएल के अस्तित्व के अधिकार पर भी सवाल उठाते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "निश्चित रूप से इस्राएली सरकार की आलोचना करना उचित है, लेकिन जिस प्रबलता और जिस स्तर पर हमले किए जाते हैं, वह साफ तौर पर बेहूदा है।"
अपने श्रोताओं के सामने फ्रीडलैंडर ने एक और चिंता जाहिर की। श्रोताओं में जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के सदस्य भी थे। वहां अमेरिका के राजदूत रिचर्ड गेनेल भी मौजूद थे। ग्रेनेल के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में एलान किया था कि राष्ट्रवादी कहे जाने पर उन्हें गर्व का अहसास होता है।
इस्राएली इतिहासकार ने कहा, "यहूदियों से घृणा यह एक ऐसे अभिशापों में है जो एक देश से दूसरे देश में कष्ट फैलाता जा रहा है। अनजान लोगों से भय, यह ऐसा लालच है जिसका इस्तेमाल अधिकारवादी नेतृत्व करता है और ऐसे राष्ट्रवाद पर जोर देता है जो दुनिया भर में चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है।"
वार्षिक स्मृति सभा
जर्मन संसद में एक विशेष सत्र के तहत होलोकॉस्ट रिमेम्ब्रैंस डे 27 जनवरी को आयोजित किया जाता है। 27 जनवरी 1945 को सोवियत संघ की सेना ने आउशवित्स को नाजी आर्मी से मुक्त कराया था। आउशवित्स पोलैंड में है। हिटलर के शासन के दौरान जर्मनी ने पोलैंड पर कब्जा कर आउशवित्स इलाके में यहूदियों के लिए यातना कैंप बनाया था। 74वीं होलोकॉस्ट स्मृति सभा को जर्मन संसद के अध्यक्ष वोल्फगांग शोएब्ले ने भी संबोधित किया।
शोएब्ले ने कहा, यह "शर्मनाक" है कि जर्मनी में रहने वाले यहूदी ज्यादा यहूदी घृणा के मामलों की रिपोर्ट कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा यहूदी जर्मनी छोड़ने की इच्छा जता रहे हैं। जर्मन संसद के अध्यक्ष के मुताबिक, "लेकिन यह शर्म महसूस करने के लिए काफी नहीं है। हर दिन के जीवन में यहूदी घृणा, नस्लभेद और हर तरह के भेदभाव के प्रति हमारा प्रतिरोध" जरूरी है।