तुर्की की एक अदालत ने विपक्षी नेता इमामोग्लु को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इमामोग्लु के समर्थन में देशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच इमामोग्लु को इस्तांबुल के मेयर पद से निलंबित कर दिया गया है। तुर्की में विपक्षी नेता एकरम इमामोग्लु को इस्तांबुल के मेयर पद से हटा दिया गया है। आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने 'अस्थायी रूप से' इमामोग्लु को निलंबित करने की घोषणा की।
इससे पहले रविवार, 23 मार्च को तुर्की की एक अदालत ने इस्तांबुल के मेयर एकरम इमामोग्लु को हिरासत में रखने का फैसला सुनाया। 'तुर्कीये टुडे' की खबर के अनुसार, इस्तांबुल के चीफ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ऑफिस ने मेयर इमामोग्लु समेत 92 लोगों की गिरफ्तार का आग्रह किया था।
अभियोजन पक्ष ने गिरफ्तारी के लिए ये चार आधार दिए थे: एक आपराधिक संगठन बनाना, बिड (या ठेका/टेंडर देने की प्रक्रिया) में गड़बड़ी, रिश्वत लेना और गैरकानूनी तरीके से निजी डेटा हासिल करना। कोर्ट ने भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों में फैसला दिया, 'एक वित्तीय जांच के संबंध में यह फैसला लिया गया है कि संदिग्ध एकरम इमामोग्लु को एक आपराधिक संगठन बनाने और उसका नेतृत्व करने, रिश्वत लेने, ऑफिस में अनुचित आचरण करने, गैरकानूनी तरीके से निजी जानकारियां रिकॉर्ड करने और ठेकों में गड़बड़ी से जुड़े आरोपों में हिरासत में रखा जाए।'
आतंकवाद संबंधी मामले में मेयर इमामोग्लु की आधिकारिक गिरफ्तारी को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'हालांकि, एक सशस्त्र आतंकवादी संगठन की मदद करने का संदेह मजबूत है, लेकिन फिलहाल इस आरोप पर फैसला लेना जरूरी नहीं समझा गया है क्योंकि वित्तीय अपराधों में पहले ही उन्हें रिमांड में लेकर हिरासत भेज दिया गया है।'
इमामोग्लु की गिरफ्तारी और प्री-ट्रायल डिटेंशन को राजनीतिक विश्लेषक एक राजनीतिक कार्रवाई बता रहे हैं। इसके कारण तुर्की में लोकतंत्र की सेहत और कानून-व्यवस्था व न्यायपालिका की स्वतंत्र भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में ट्रायल शुरू होने से पहले लंबी अवधि तक हिरासत में रखे जाने के कारण अक्सर बिना मुकदमे के ही आरोपित को सजा काटनी पड़ती है।
प्री-ट्रायल डिटेंशन से आशय मुकदमा शुरू होने से पहले और ट्रायल के दौरान आरोपित को हिरासत में लिया जाना है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि आरोपित भाग ना जाए, या सबूतों के साथ छेड़छाड़ ना करे, या न्यायिक प्रक्रिया में अड़ंगा ना लगाए।
इस्तांबुल की एक लॉ फर्म 'याजार' के मुताबिक, तुर्की में प्री-ट्रायल डिटेंशन का फैसला सुनाने के लिए जज को यह तय करना होता है कि आरोपित पर लगे इल्जामों के क्रम में अपराध होने का मजबूत संदेह है। हालांकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों या आलोचकों-विरोधियों के खिलाफ इसके इस्तेमाल से जुड़े मामलों में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठते हैं।
आतंकवादी संगठन को मदद देने के भी आरोप
इमामोग्लु के खिलाफ दो अलग-अलग मामले हैं। एक आरोप आतंकवादी संगठन की मदद करने का है। इसके अंतर्गत दावा किया गया है कि नगरपालिका में रोजगार संबंधी गतिविधियों के तहत आतंकवादी संगठन 'कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी' (तुर्की में संक्षिप्त नाम, पीकेके) से ताल्लुक रखने वाले लोगों की भर्ती की गई।
दूसरा, भ्रष्टाचार संबंधी आरोप सार्वजनिक टेंडरों से जुड़ा। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जांच के क्रम में इमामोग्लु की कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी 'इमामोग्लु इंसाट' की संपत्ति भी जब्त की गई है। 'तुर्कीये टुडे' के मुताबिक, इन आरोपों के अतिरिक्त पार्टी फंड में गड़बड़ी के भी आरोप सामने आए हैं।
समुचित न्यायिक प्रक्रिया, यानी मुकदमा चलने और फैसला आने से पहले ही अदालत ने इमामोग्लु को जेल भेजने का फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार की जांच के क्रम में इमामोग्लु के अलावा कम-से-कम 20 अन्य आरोपितों को जेल भेजा गया है।
इमामोग्लु ने आरोपों को निराधार बताया
इमामोग्लु को 19 मार्च की सुबह गिरफ्तार किया गया था। उनसे करीब 5 घंटे तक पूछताछ हुई। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के दौरान इमामोग्लु ने कम-से-कम 70 सवालों के जवाब दिए। इसके बाद उन्हें इस्तांबुल की एक अदालत में पेश किया गया। इमामोग्लु ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए इन्हें 'अनैतिक और निराधार' बताया है।
अपने बयान में उन्होंने कहा, 'इस प्रक्रिया ने ना केवल तुर्की की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि न्याय में लोगों के यकीन और अर्थव्यवस्था में उनके भरोसे को भी तोड़ा है।' इमामोग्लु की पार्टी और देश के मुख्य विपक्षी दल सीएचपी (रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी) ने गिरफ्तारी की निंदा की है और कार्रवाई को राजनीतिक मंशा से प्रेरित बताया है।
इमामोग्लु की गिरफ्तारी के विरोध में तुर्की के कई शहरों में बवाल मचा है। 22 मार्च को लगातार चौथी रात भारी विरोध प्रदर्शन हुए। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच टकराव हुआ। खबरों के मुताबिक, ताजा प्रदर्शन बीते एक दशक के दौरान तुर्की में हुआ सबसे भारी प्रोटेस्ट है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, तुर्की के 55 से ज्यादा प्रांतों में प्रोटेस्ट हो रहे हैं। देश में कुल 81 प्रांत हैं। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इमामोग्लु की पत्नी ने जनता से की अपील
इस बीच 23 मार्च को सीएचपी का प्राइमरी (उम्मीदवार तय करने की दलीय प्रक्रिया) चुनाव हो रहा है। यह प्रक्रिया सांकेतिक मानी जा रही है क्योंकि इमामोग्लु अकेले उम्मीदवार हैं। सीएचपी ने लोगों से अपील की है कि मतदान के माध्यम से वो इमामोग्लु के साथ एकजुटता जताएं।
चुनाव स्थानीय समय के अनुसार सुबह 8 बजे शुरू हुए। 81 शहरों में करीब 5,600 मतदान पेटियां लगाई गई हैं। मतदान पेटियों को 'सॉलिडैरिटी बॉक्स' (एकजुटता दिखाने की पेटी) नाम दिया गया है।
सीएचपी ने कहा है कि अब ये मतदान केवल पार्टी के सदस्यों और कार्यकर्ताओं तक सीमित नहीं है, हर कोई भाग ले सकता है। इस क्रम में जनता से अपील करते हुए मेयर की पत्नी दिलेक काया इमामोग्लु ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैं अपने देश को मतदान पेटी तक आने का आमंत्रण देती हूं। हम राष्ट्रपति एकराम, लोकतंत्र, न्याय और भविष्य को चुनने के लिए वोट डाल रहे हैं।'
उन्होंने लिखा, 'हम ना डरे हैं, ना कभी हार मानेंगे।' आलोचकों के मुताबिक, इमामोग्लु पर हुई कार्रवाई की वजह यही प्राइमरी है। आरोप है कि राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने इमामोग्लु के रूप में अपने सबसे मजबूत और लोकप्रिय राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को रास्ते से हटाने के लिए यह कदम उठाया है। इमामोग्लु पर हुई कार्रवाई का समय अहम है। 23 मार्च को प्राइमरी होना था, जहां सीएचपी उन्हें अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार चुनने वाली थी।
इमामोग्लु से एर्दोगन को मिल रही है सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती?
इस्तांबुल ना केवल तुर्की का सबसे बड़ा शहर है, बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहद मजबूत है। देश के कुल इकॉनॉमिक आउटपुट में एक तिहाई हिस्सेदारी अकेले इस्तांबुल की है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में इस्तांबुल की जीत बेहद अहम मानी जाती है।
ये शहर एर्दोगन की निजी राजनीतिक पहचान की भी जमीन है। वो यहीं पैदा हुए, यहीं बड़े हुए और 1994 में बतौर इस्तांबुल मेयर राष्ट्रीय राजनीति में उनका दाखिला हुआ। इसी पहचान से आगे बढ़ते हुए वह 2003 में देश के प्रधानमंत्री बने और एक दशक बाद साल 2014 में तुर्की के राष्ट्रपति बने। दो दशक से भी अधिक समय तक इस्तांबुल एर्दोगन और उनकी 'जस्टिस एंड डिवेलपमेंट पार्टी' (तुर्की भाषा में संक्षिप्त नाम, एके पार्टी) का गढ़ रहा।
मगर, मार्च 2019 में हुए चुनाव में सीएचपी के नेतृत्व में गठित नैशनल अलायंस की ओर से जीतकर इमामोग्लु इस्तांबुल के मेयर बने। एर्दोगन की पार्टी ने चुनावी अनियमितताओं का आरोप लगाकर इस चुनावी नतीजे को रद्द करने की मांग की। कुछ ही महीनों बाद फिर से नगर निगम का चुनाव हुआ और दोबारा इमामोग्लु जीते।
फिर मार्च 2024 में हुए पिछले स्थानीय चुनावों में भी इस्तांबुल पर सबकी निगाहें थीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चुनावी विश्लेषणों में कहा जा रहा था कि अगर इमामोग्लु, एर्दोगन खेमे के उम्मीदवार मुरात कुरुम को हरा देते हैं, तो यह एर्दोगन के लिए बहुत बड़ा झटका होगी। अंतत: चुनाव में इमामोग्लु को जीत मिली।
इस कामयाबी का अनुवाद केवल इस्तांबुल के राजनीतिक नेतृत्व तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इमामोग्लु उनके सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी बन गए। उन्हें तुर्की में एर्दोगन-विरोधी ब्लॉक का सबसे लोकप्रिय चेहरा माना जाने लगा। कई राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, विपक्षी चुनौती के रूप में इमामोग्लु के बढ़ते कद और उनकी राजनीतिक संभावनाओं को लेकर गहराती असुरक्षा ताजा कार्रवाई की वजह हो सकती हैं।
'काउंसिल ऑफ यूरोप' ने की इमामोग्लु को रिहा करने की मांग
यूरोप में मानवाधिकार पर काम करने वाले समूह 'काउंसिल ऑफ यूरोप' ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है। समूह के एक अधिकारी मार्क कूल्स ने समाचार एजेंसी एपी से बात करते हुए कहा, 'इस्तांबुल के मेयर एकरम इमामोग्लु को हिरासत में रखे जाने के फैसले की हम निंदा करते हैं और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करते हैं।'
सोनर चापटाय, वॉशिंगटन इंस्टिट्यूट फॉर नीयर ईस्ट पॉलिसी में तुर्किश रिसर्च प्रोग्राम के निदेशक हैं। उन्होंने एर्दोगन पर एक किताब भी लिखी है। इमामोग्लु की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने एपी से कहा कि एर्दोगन अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के विरुद्ध बहुत सख्त कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इमामोग्लु के करियर को खत्म करने के लिए जो भी हो, वो कदम उठाने का एर्दोगन ने फैसला कर लिया है।' चापटाय ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के हर संभावित मुकाबले में इमामोग्लु, एर्दोगन को हरा देंगे।
अंतरराष्ट्रीय माहौल के संदर्भ में चापटाय ने कहा कि एक ओर जहां रूस से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए यूरोपीय संघ (ईयू) तुर्की के साथ अच्छे ताल्लुकात बनाना चाहता है, वहीं अमेरिका को दूसरे देशों के आंतरिक मामलों की परवाह नहीं है। ऐसे में एर्दोगन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी विरोध या आलोचना की फिक्र किए बिना आगे बढ़ने का अवसर मिल गया है।