Ram Rahim news : बलात्कार के जुर्म में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को 7वीं बार पैरोल पर छोड़ दिया गया। सवाल उठ रहे हैं कि जेलों में बंद चार लाख से भी ज्यादा विचाराधीन कैदियों के मामलों में भी इतनी मुस्तैदी क्यों नहीं दिखाई जाती है।
बलात्कार और हत्या के जुर्म में 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल पर रिहा कर दिया गया है। रहीम को 20 जुलाई को हरियाणा के रोहतक जिले में स्थित सुनारिया जेल से 30 दिनों की पैरोल पर छोड़ दिया गया।
यह 2023 में उसकी दूसरी पैरोल और पिछले दो सालों में चौथी पैरोल है। 2017 में दोषी पाए जाने के बाद उसे कुल मिलाकर सात बार पैरोल पर छोड़ा जा चुका है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इससे पहले उसे जनवरी 2023 में 40 दिनों की पैरोल, अक्टूबर 2022 में भी 40 दिनों की पैरोल और जून 2022 में 30 दिनों की पैरोल पर रिहा किया गया था।
बार बार जेल से छोड़ा गया
इसके अलावा फरवरी 2022 में उसे पैरोल की जगह फर्लो के नियम के तहत तीन हफ्तों के लिए जेल से छोड़ दिया गया था। अक्टूबर 2020 और मई 2021 में उसे एक एक दिन की पैरोल पर भी छोड़ा गया था।
रहीम को अगस्त 2017 में उसके डेरा की ही दो महिला अनुयायियों का बलात्कार करने का दोषी पाया गया था और 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद अक्टूबर 2021 में उसे डेरा के ही एक पूर्व कर्मचारी की हत्या में शामिल होने का भी दोषी पाया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
पैरोल और फर्लो जैसे नियमों के तहत कैदों को सीमित अवधि के लिए कुछ शर्तों के साथ जेल से रिहा करने का अधिकार राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। राम रहीम के मामले में हरियाणा सरकार ने कहा है कि पैरोल कैदी का अधिकार होता है।
भारत में पैरोल नियमों के तहत कैदियों को समय समय पर रिहा किया जाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में देश में कुल मिलाकर 28,763 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था। इनमें 860 कैदी पैरोल का फायदा उठा कर भाग गए थे, लेकिंन उनमें से 523 कैदों को फिर से पकड़ लिया गया था।
सालों से जेल में बंद
लेकिन जहां पैरोल पाने वाले कैदियों की संख्या 28,763 है, वहीं देश की सैकड़ों जेलों में चार लाख से भी ज्यादा ऐसे कैदी बंद हैं जिन पर लगाए गए आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं और उनके मामलों पर अभी तक सुनवाई चल रही है।
2021 में विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या 4,27,165 थी। 2020 के मुकाबले ऐसे कैदियों की संख्या करीब 14 प्रतिशत बढ़ गई थी। इनमें से करीब तीन लाख कैदी एक साल तक की अवधि जेल में काट चुके हैं।
करीब 56,000 कैदी एक से ले कर दो साल से, करीब 32,000 दो से तीन साल और करीब 24,000 तीन से ले कर पांच साल से जेल में बंद हैं। इनके अलावा करीब 11,500 कैदी ऐसे भी हैं जो पांच साल से जेल में बंद हैं और अभी तक उनके मामलों पर सुनवाई ही चल रही है।
इनमें से दो लाख से ज्यादा कैदी जिला जेलों में, करीब डेढ़ लाख केंद्रीय जेलों में और करीब 44,000 उप जेलों में थे। ऐसे अंडरट्रायल कैदियों में 1,418 महिलाएं भी हैं, जिनके साथ करीब 1,600 बच्चे भी जेल में ही हैं।