भारत में तो सेक्स शब्द ही अश्लील मान लिया जाता है लेकिन पश्चिम में सेक्स थेरेपी की बड़ी अहमियत है। एवरीडेहेल्थ डॉट कॉम ने सेक्स थेरेपी के बारे में 7 बातें बताई हैं।
एक तरह की काउंसलिंग : सेक्स थेरेपी भी वैसी ही काउंसलिंग है जैसे आम काउंसलिंग। बेटर सेक्स गाइड टु एक्सट्राऑर्डिनरी लवमेकिंग किताब के लेखक यवोन के। फुलब्राइट कहते हैं, "सेक्स और रिलेशनशिप की मुश्किलों को सुलझाने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीकों से ट्रेनिंग पाया व्यक्ति ही सेक्स थेरेपी करता है।"
सेक्स का मनोविज्ञान : अगर आप किसी तरह की यौन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो इसके पीछे मानसिक वजहें हो सकती हैं। थेरेपी के जरिये उन वजहों की जड़ में पहुंचकर उन्हें दूर किया जाता है।
होमवर्क की जरूरत : डॉ. मोंटाग कहते हैं कि थेरेपिस्ट आपको घर पर जाकर करने के लिए कुछ होमवर्क दे सकता है। ये कुछ टिप्स होते हैं जो समस्या को सुलझाने में मदद कर सकते हैं।
पार्टनर के साथ : डॉ. फुलब्राइट कहते हैं कि सेक्स थेरेपी के दौरान पार्टनर को साथ लाना चाहिए या नहीं इसका फैसला समस्या के आधार पर होता है। हर बार पार्टनर को साथ लाना जरूरी नहीं होता।
कपड़े नहीं उतारे जाते : सेक्स थेरेपी के दौरान कपड़े नहीं उतारे जाते। यानी शारीरिक तौर पर कुछ नहीं होता। यह सिर्फ बातचीत पर आधारित थेरेपी है। यहां तक कि अगर कोई थेरेपिस्ट आपको ऐसा करने को कहता है तो आप फौरन वहां से चले जाएं।
थेरेपिस्ट का चुनाव : हर थेरेपिस्ट हर समस्या को सुलझाने के लिए सक्षम नहीं होता। फैमिली थेरेपी, सोशल वर्कर, थियॉलॉजी और साइकोलॉजी पढ़े हुए लोग भी सेक्स थेरेपिस्ट बन जाते हैं लेकिन यह सही नहीं है। सेक्स थेरेपी अलग विधा है।
सबके लिए नहीं है : सेक्स थेरेपी सबके लिए नहीं है। मानसिक समस्याओं का इलाज तो मनोवैज्ञानिक यानी साइकॉलजिस्ट या साइकोथेरेपिस्ट भी कर सकते हैं। हर समस्या के लिए सेक्स थेरेपी की जरूरत नहीं होती।