संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के अनुसार इस साल अप्रैल से ही ईरान और पाकिस्तान से 5 लाख अफगानों को निकाला जा चुका है। 42 साल के अफगान नागरिक शेर खान के लिए वह दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं था। पाकिस्तान में एक ईंटों की भट्टी में काम करने वाले खान जब घर लौटे तो दरवाजे पर सादे कपड़ों में एक पुलिसकर्मी खड़ा था। आदेश साफ था, 'आपके पास 45 मिनट हैं, अपना सामान समेटिए और पाकिस्तान हमेशा के लिए छोड़ दीजिए।'
पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में अपने परिवार के साथ रहने वाले शेर खान इतने समय में कुछ बर्तन और अपने बच्चों के कपड़े ही समेट पाए। साल 1979 में सोवियत आक्रमण के दौरान अफगानिस्तान से भागे माता-पिता के यहां पाकिस्तान में जन्मे खान उन लाखों लोगों में से एक हैं जिन्हें अब पाकिस्तान से निकाला जा रहा है।
2023 से चल रहा है अफगान लोगों को लौटाने का अभियान
अक्टूबर 2023 में पाकिस्तान ने अपने यहां अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के खिलाफ देशव्यापी मुहिम शुरू की थी। तबसे लगभग 10 लाख अफगान देश छोड़ चुके हैं। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि अभी भी लाखों अफगान बचे हैं और उन्हें भी जल्दी ही देश छोड़ना होगा। अफगान सीमा पर स्थित तोरखम शरणार्थी शिविर पहुंचे खान ने कहा, 'हमने इतने सालों तक मेहनत करके जो कुछ भी कमाया, वह सब पीछे छूट गया, लेकिन हम खुश हैं कि हम सम्मान के साथ लौटे।'
पाकिस्तान ने इस साल कई समयसीमा तय की थीं। अफगान सिटीजन कार्ड धारकों को 31 मार्च तक इस्लामाबाद और रावलपिंडी छोड़ना था, जबकि पंजीकरण प्रमाणपत्र वालों को 30 जून तक रुकने की अनुमति थी। अन्य क्षेत्रों के लिए कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं थी। खान को डर था कि अगर वह समय पर नहीं गए तो उसकी पत्नी और बच्चों को भी पुलिस थाने ले जाया जा सकता था, जो उसके परिवार की इज्जत के लिए एक बड़ा आघात होता।
पाकिस्तान ऐसा आरोप लगाता रहा है कि अफगानिस्तान से उनके यहां आतंकी हमले की योजना बनाई जाती है। लेकिन इन आरोपों को काबुल की तालिबान सरकार खारिज करती है। पाकिस्तान का कहना है कि वह किसी को निशाना नहीं बना रहा और सभी को सम्मानपूर्वक निकाला जा रहा है। हालांकि जिन लोगों को कुछ ही मिनटों में सब कुछ छोड़ना पड़ा, उनके लिए यह प्रक्रिया कतई आसान नहीं थी।
कितनी आसान होगा अफगानिस्तान में नई शुरुआत करना
तालिबान सरकार की ओर से चलाए जा रहे तोरखम शिविर में हर परिवार को एक सिम कार्ड और 10,000 अफगानी (यानी लगभग 145 अमेरिकी डॉलर) की सहायता दी जाती है। वे यहां 3 दिन तक रह सकते हैं। शिविर के निदेशक मौलवी हाशिम मइवंदवाल बताते हैं कि अब रोजाना लगभग 150 परिवार ही पाकिस्तान से आ रहे हैं जबकि 2 महीने पहले तक यह संख्या 1,200 के आसपास थी।
स्थानीय एनजीओ और सहायता संगठन शिविर में स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता किट और भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। संस्था असील ने खाने-पीने की चीजों को बांटने की एक व्यवस्था भी शुरू की है, जो परिवारों को उनके ठिकाने तक पहुंचने के बाद मदद करती है। असील के नजीबुल्लाह गयासी ने कहा, 'ईद के बाद बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। संख्या इतनी अधिक है कि हम सबको संभाल नहीं सकते।' संस्था अब अधिक फंड जुटाने की कोशिश कर रही है। उधर ईरान ने घोषणा की है कि इस साल के अंत तक वो 40 लाख अफगानों को उनके 'तथाकथित सुरक्षित स्वदेश' लौटा देगा।