मुफ्त क्रिप्टो करंसी के लिए आंखें स्कैन करवा रहे हैं लोग

DW

शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 (08:44 IST)
डाटा सुरक्षा और निजता की चिंताओं की परवाह किये बगैर दुनियाभर में लोग अपनी आंखों का स्कैन करवा रहे हैं ताकि डिजिटल आईडी मिल सके।
 
चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपन एआई के सीईओ सैम आल्टमैन ने वर्ल्डकॉइन नाम के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। उनका कहना है कि उनका मकसद एक नया ‘आइडेंटिटी और फाइनैंशल नेटवर्क' तैयार करना है।
 
वह दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा तैयार डिजिटल आईडी के जरिये लोग बहुत सारे काम कर पाएंगे, जिनमें इंटरनेट पर यह साबित करना भी शामिल है कि वे इंसान हैं, बॉट नहीं।
 
सोमवार को ही इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है और ब्रिटेन, जापान व भारत समेत दुनिया के कई देशों में लोगों ने यह स्कैन करवाना भी शुरू कर दिया है। मंगलवार को टोक्यो में एक क्रिप्टो कॉन्फ्रेंस में आंखें स्कैन करवाने के लिए लोग लंबी कतारों में खड़े नजर आये।
 
चांदी के रंग के एक विशाल चमकते ग्लोब के सामने सामने खड़े इन लोगों की आंखें एक डिवाइस के जरिये स्कैन की गईं, जिसके बाद उन्हें 25 वर्ल्डकॉइन मिले। कंपनी का कहना है कि अपनी पहचान की पुष्टि कराने के बाद ही लोग इस डिजिटल करंसी को पा सकेंगे।
 
120 देशों में पहुंचा प्रोजेक्ट
वर्ल्डकॉइन का दावा है कि दो साल तक चले ट्रायल पीरियड के दौरान वह 120 देशों में 20 लाख से ज्यादा लोगों को डिजिटल आईडी जारी कर चुकी है।
 
स्कैन कराने वाले कुछ लोगों ने कहा कि अपनी आंखों के स्कैन से पहले उन्होंने डाटा जमा करने से जुड़ीं चिताओं पर विचार किया था।
 
33 साल के साएकी सासाकी कहते हैं, "किसी कंपनी द्वारा आपकी आंखों का डाटा लेने से जुड़े खतरे तो हैं लेकिन मैं तमाम क्रिप्टो प्रोजेक्ट के बारे में जानना चाहता हूं। मैं थोड़ा डरा हुआ था लेकिन अब तो यह हो चुका है और मैं इसे वापस नहीं ले सकता।”
 
डाटा सुरक्षा और निजता अधिकारों के लिए काम करने वाले कई कार्यकर्ता इस प्रोजेक्ट को खतरनाक बताते हैं। अमेरिका की एक संस्था इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इन्फॉर्मेशन सेंटर का कहना है कि वर्ल्डकॉइन का यह प्रोजेक्ट एक निजता के लिए संभावित खतरा है।
 
वर्ल्डकॉइन ने इस संबंध में पूछे गये सवालों के जवाब नहीं दिये। कंपनी की वेबसाइट कहती है कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह निजी है और ग्राहक अपने डाटा को डिलीट करने या इन्क्रिप्शन के साथ सेव करने का विकल्प भी चुन सकते हैं।
 
मुफ्त क्रिप्टो करंसी
सोमवार को लंदन के एक को-वर्किंग ऑफिस में जब वर्ल्डकॉइन के दो प्रतिनिधियों ने कुछ लोगों को दिखाया कि कैसे ऐप डाउनलोड करें और अपनी आंखें स्कैन करें, तब साथ में वे मुफ्त टीशर्ट और स्टिकर भी बांट रहे थे, जिन पर लिखा थाः ‘वेरिफाइड ह्यूमन'।
 
34 साल के ग्राफिक डिजाइनर क्रिस्टियान कहते हैं कि वह उत्सुकता की वजह से इस प्रोजेक्ट में शामिल हुए। हालांकि वह कहते हैं कि क्रिप्टो करंसी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर उनकी उत्सुकता बस मजे के लिए है।
 
विकासशील देशों में महंगाई से लड़ने का हथियार बना क्रिप्टो
क्रिस्टियान कहते हैं, "मुझे लगता है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंसान में फर्क करना मुश्किल हो जाएगा और यह प्रोजेक्ट उस समस्या का बढ़िया हल है।”
 
दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज बाइनैंस में वर्ल्डकॉइन की कीमत 2।30 अमेरिकी डॉलर के आसपास है और बहुत से लोग सिर्फ मुफ्त करंसी के लिए ही वर्ल्डकॉइन प्रोजेक्ट का हिस्सा बन रहे हैं।
 
केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 22 साल के अली कहते हैं कि उन्होंने अपने स्टूडेंट लोन में से भी कुछ धन क्रिप्टो करंसी में निवेश किया है। वह खुश हैं कि 25 मुफ्त वर्ल्डकॉइन के रूप में उन्हें 70-80 डॉलर मिल सकते हैं।
 
अली बताते हैं, "मैंने आज सुबह ही अपने भाई को इसके बारे में बताया। मैंने कहा कि मुफ्त में पैसा मिल रहा है, और चाहिए तो वह भी आ सकता है।”
 
निजता की परवाह नहीं
क्रिस्टियान और अली दोनों ने ही वर्ल्डकॉइन की प्राइवेसी पॉलिसी नहीं पढ़ी है, जो कहती है कि डाटा को कंपनी के साथ काम करने वाले ठेकेदारों और सरकार को दिया जा सकता है। हालांकि नीति में स्पष्ट किया गया है कि खतरों को कम करने के लिए कदम उठाये गये हैं।
 
कुछ ऐसा ही भारत के बेंगलुरू में भी हो रहा है। राह चलते लोगों को रोक-रोक कर इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया जा रहा है। ज्यादातर लोगों ने कहा कि उन्हें निजता की परवाह नहीं है।
 
18 साल के एक छात्र सुजीत ने कहा कि उन्होंने वर्ल्डकॉइन की शर्तें और नियम नहीं पढ़े हैं और डाटा सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। सुजीत अपने जेब खर्च में से कुछ धन क्रिप्टो में निवेश करते रहते हैं। वह कहते हैं, "मैं गुजर रहा था तो उन्होंने मुझसे पूछा कि कुछ मुफ्त कॉइन लोगे। मैंने सोचा, क्यों नहीं।”
वीके/एए (रॉयटर्स)

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