चीन के बारे में क्या सोचते हैं अलग-अलग देशों के लोग?

DW

गुरुवार, 11 जुलाई 2024 (09:18 IST)
-वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
 
प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए सर्वेक्षण के अनुसार चीन के बारे में अमीर और मध्यम आय वाले देशों के लोगों के बीच राय बंटी हुई है। सर्वेक्षण में 35 देशों के लोगों से बात की गई। अमेरिकी सर्वेक्षण संस्था प्यू रिसर्च सेंटर ने 35 देशों के लोगों के बीच एक सर्वे में यह जानने की कोशिश की कि वहां के लोग चीन के बारे में क्या सोचते हैं। सर्वेक्षण में धनी और मध्यम आय वाले देश शामिल थे। 18 धनी देशों में से 15 के लोगों ने चीन के प्रति नकारात्मक राय जाहिर की।
 
जापान और ऑस्ट्रेलिया में 80 फीसदी से अधिक लोगों ने चीन को नकारात्मक रूप में देखा। इसके उलट 17 मध्यम-आय वाले देशों में से 14 के लोगों ने चीन के प्रति सकारात्मक राय जाहिर की। थाईलैंड में 80 फीसदी वयस्कों ने चीन के प्रति अच्छी राय जाहिर की।
 
यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई, जब नाटो देशों के नेता वॉशिंगटन में यूक्रेन युद्ध और चीन को लेकर चिंता व्यक्त करने के लिए जमा हुए। पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो खासतौर पर जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ सहयोग को गहरा करना चाहता है, क्योंकि ये देश चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में उसकी मदद कर सकते हैं।
 
इंडो-पैसिफिक के लोग ज्यादा चिंतित
 
अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए समान विचारधारा वाली सरकारों के साथ गठबंधन बना रहा है। प्यू की रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र के कई देश चीन के क्षेत्रीय विवादों को लेकर चिंतित हैं। उदाहरण के लिए फिलीपींस का दक्षिण चीन सागर में सेकंड थॉमस शोल को लेकर चीन से विवाद चल रहा है। वहां के लोग चीन को लेकर सबसे ज्यादा नकारात्मक राय रखते हैं। लगभग 90 फीसदी फिलीपीनी नागरिकों ने चिंता व्यक्त की।
 
दक्षिण कोरिया और जापान में भी इतने ही प्रतिशत लोगों ने चिंता जाहिर की। ऑस्ट्रेलिया में लगभग 80 फीसदी लोगों की चीन के बारे में नकारात्मक राय है। ये तीनों देश इंडो-पैसिफिक में नाटो के 4 साझीदारों के एक अनौपचारिक समूह के सदस्य हैं। चौथा देश, न्यूजीलैंड, प्यू के सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं था।
 
इन 3 देशों के साथ-साथ भारत भी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सर्वेक्षण में शामिल ऐसे देशों में से है, जहां के लोग मानते हैं कि वैश्विक शांति और स्थिरता में चीन का योगदान सबसे कम है। भारत में 78 फीसदी लोगों ने चीन के योगदान पर संदेह जताया। भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद के कारण तनाव है। हाल ही में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए कोशिश करने पर सहमति जताई थी।
 
थाईलैंड, जिसका चीन के साथ कोई क्षेत्रीय विवाद नहीं है, सबसे कम चिंतित है। वहां के लगभग 40 फीसदी लोगों ने चीन के क्षेत्रीय विवादों पर चिंता जताई। 80 प्रतिशत थाई लोगों ने कहा कि चीन वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देता है।
 
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समग्र रूप से, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस और भारत ने चीन के प्रति सबसे अधिक नकारात्मक दृष्टिकोण रखा जबकि थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और श्रीलंका ने चीन के प्रति सबसे अधिक सकारात्मक राय जाहिर की।
 
शी जिनपिंग पर कितना भरोसा?
 
इस क्षेत्र में विभाजन के एक और संकेत के रूप में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उनके पड़ोसी देशों में सबसे अधिक और सबसे कम रेटिंग मिली। जापान में 90 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें शी जिनपिंग पर 'बहुत कम' या 'जरा भी' भरोसा नहीं है कि वह वैश्विक मामलों में सही काम करेंगे।
 
थाईलैंड और सिंगापुर ने शी जिनपिंग पर तुलनात्मक रूप से ज्यादा भरोसा दिखाया। वहां के लगभग 60 फीसदी लोगों ने कहा कि चीनी नेता पर सही काम करने के लिए भरोसा किया जा सकता है। थाईलैंड और सिंगापुर की रेटिंग सर्वेक्षण किए गए देशों में सबसे अधिक थी।
 
धनी और मध्यम आय वाले देशों के बीच चीन को लेकर राय कितनी बंटी हुई है, यह इस साल के सर्वे में और ज्यादा स्पष्ट हुआ है जबकि 35 देशों में से 17 मध्यम आय वाले देश थे। पिछले साल के 24 देशों में केवल 8 मध्यम-आय वाले देश शामिल थे।
 
उत्तरी अमेरिका और यूरोप में सर्वेक्षण किए गए 12 देशों में से ग्रीस को छोड़कर सभी ने चीन को अधिक नकारात्मक रूप में देखा। अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में सभी 10 देशों के लोगों ने कहा कि उनका चीन के प्रति रवैया कुछ हद तक सकारात्मक है।

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