Hezbollah–Israel conflict: इसराइल के नियंत्रण वाली गोलान पहाड़ियों पर एक रॉकेट हमले के बाद चिंताएं बढ़ गई हैं कि इसराइल और ईरान समर्थित लेबनानी गुट हिजबुल्लाह के बीच भयंकर युद्ध की स्थितियां न पैदा हो जाएं। इसराइल और हिजबुल्लाह पहले ही कह चुके हैं कि वे ऐसे हालात नहीं चाहते, लेकिन मजबूरी आई तो इसके लिए तैयार भी हैं।
गोलान पहाड़ियों पर फुटबॉल मैदान को निशाना बनाने वाले एक रॉकेट हमले में शनिवार को 12 बच्चों और किशोरों की मौत हो गई। इसराइल का कहना है कि उसने इसके जवाब में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया है। हालांकि हिजबुल्लाह ने मजदल शम्स इलाके में हुए इस हमले में अपना हाथ होने से इंकार किया।
इसराइल ने इन मौतों के लिए हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर जोरदार चोट करने की बात कही है। इस रॉकेट अटैक को 7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हुए हमास के हमले के बाद की गई सबसे भयंकर कार्रवाई माना जा रहा है। अक्टूबर के उस हमले ने ही गाजा में जारी इसराइली कार्रवाई की नींव रखी थी।
इसराइल-हिजबुल्लाह संघर्ष
हमास के उस हमले के एक दिन बाद से ही हिजबुल्लाह भी इस विवाद में कूद पड़ा। हमास के सहयोगी हिजबुल्लाह का कहना है कि उसकी कार्रवाइयां गाजा में इसराइली हमलों के साए में जी रहे फिलीस्तीनी लोगों के हक में हैं। हिजबुल्लाह को ईरान के समर्थन वाले नेटवर्क का सबसे ताकतवर सदस्य माना जाता है। हिजबु्ल्लाह ने बार-बार कहा है कि वह इसराइल पर हमले तब तक बंद नहीं करेगा जब तक कि गाजा में सीजफायर लागू नहीं हो जाता।
इसराइल और हिजबुल्लाह ने अब तक कई लड़ाइयां लड़ी हैं। आखिरी बार इनके बीच संघर्ष 2006 में हुआ था। इसराइल, हिजबुल्लाह को अपनी सीमाओं के पास मौजूद सबसे बड़ा खतरा मानता है। वह इस गुट के पास बढ़ते हथियारों और सीरिया में उसके गहरे होते प्रभाव से हैरान है।
हिजबुल्लाह की शुरुआत ही इसराइल के साथ संघर्ष के साथ जुड़ी है। 1982 में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इसकी स्थापना लेबनान में घुसी इसराइली फौजों से लड़ने के लिए की थी। इस गुट ने बरसों तक गुरिल्ला युद्ध लड़ा जिसके चलते इसराइल ने साल 2000 में दक्षिणी लेबनान से कदम वापस खींच लिए।
संघर्ष का अब तक क्या असर?
इस संघर्ष की कीमत दोनों ओर चुकानी पड़ी है। सीमाओं के पास बसे हजारों लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। इसराइली हवाई हमलों में दक्षिणी लेबनान और सीरियाई बॉर्डर के पास बेका घाटी के उन इलाकों को निशाना बनाया गया है, जहां हिजबुल्लाह के ठिकाने हैं। इसराइल ने कुछ और इलाकों में भी कभी-कभार हमले किए हैं, जैसे 2 जनवरी को बेरूत में हुआ हमला जिसमें एक वरिष्ठ हमास कमांडर की मौत हो गई थी। आंकड़े बताते हैं कि लेबनान में इसराइली हमलों में करीब 350 हिजबुल्लाह लड़ाके मारे जा चुके हैं और 100 से ज्यादा नागरिकों, डॉक्टरों, बच्चों और पत्रकारों की जान जा चुकी है।
इसराइली मिलिट्री ने शनिवार को हुए हमले के बाद कहा कि अक्टूबर से अब तक हिजबुल्लाह के हमलों में मारे गए आम लोगों की संख्या 23 हो चुकी है। साथ ही, 17 सैनिकों की भी जान गई है। हालांकि हिजबुल्लाह ने शनिवार के रॉकेट हमले की जिम्मेदारी से इंकार किया है। इस संघर्ष के चलते इसराइल में दरबदर हुए लोगों का मसला एक राजनैतिक मुद्दा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले सितंबर महीने में लोग अपने घर लौट सकेंगे लेकिन हालात को देखते हुए यह मुश्किल ही लगता है।
क्या मध्य पूर्व में और बिगड़ेंगे हालात?
ऐसा मुमकिन है। फिलहाल स्थिति नाजुक है लेकिन नियंत्रण में मानी जा रही है। इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने दिसंबर में चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर हिजबुल्लाह ने युद्ध छेड़ने की कोशिश की तो बेरूत को गाजा में बदल दिया जाएगा।
हिजबुल्लाह ने पहले ही संकेत दिए हैं कि वह संघर्ष को बढ़ाने के मूड में नहीं है, हालांकि वह यह भी कहता रहा है कि अगर उसे लड़ने पर मजबूर किया गया तो वह पीछे नहीं हटेगा। जून में कतर के अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल अल जजीरा के साथ एक इंटरव्यू में हिजबुल्लाह के डिप्टी लीडर शेख नईम कासेम ने कहा था कि इसराइल की तरफ से उठा कोई भी कदम, उसे तबाही और विस्थापन की ओर धकेलेगा।
2006 में इसराइली हमलों ने बेरूत में हिजबुल्लाह के नियंत्रण वाले इलाकों को तबाह किया। तब बेरूत के एयरपोर्ट, सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया। इसके चलते लेबनान में करीब 10 लाख लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। उधर इसराइल में हिजबुल्लाह के रॉकेट हमलों से बचने के लिए 3,00,000 लोगों ने घर छोड़ा और करीब 2,000 घर तबाह हो गए।
2006 के मुकाबले अब हिजबुल्लाह के पास हथियारों का बड़ा जखीरा है। उसका कहना है कि उसके पास ऐसे रॉकेट हैं, जो इसराइल के सभी इलाकों को निशाना बना सकते हैं। अक्टूबर से अब तक उसके हमलों में आधुनिक हथियार दिखे भी हैं, जिनसे इसराइली ड्रोन गिराए गए।
संघर्ष पर काबू की संभावना
यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर है कि गाजा में क्या होता है। जहां अब तक सीजफायर की कोई सूरत दिखाई नहीं दे रही है। अगर ऐसे हालात बनते हैं तो दक्षिणी लेबनान में तनाव तेजी के साथ कम हो सकता है। हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन मानने वाला अमेरिका, संघर्ष को काबू में करने के कूटनीतिक प्रयासों में अहम रोल निभा रहा है।
हिजबुल्लाह ने ऐसे संकेत दिए हैं कि लेबनान के हितों की रक्षा करने वाले समझौते के लिए उसका द्वार खुला है, लेकिन उसका यह भी कहना है कि किसी भी तरह की बातचीत तब तक नहीं हो सकती जब तक गाजा में इसराइली कार्रवाई रुक नहीं जाती।
इसराइल ने यह भी कहा है कि वह सुरक्षा कायम करने वाले कूटनीतिक हल के हक में है लेकिन इस दिशा में सैन्य कार्रवाई करके अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।
इस पेचीदा कूटनीतिक प्रक्रिया के केंद्र में भूमिका निभा रहे आमोस होखस्टाइन ने लेबनान और इसराइलके बीच समुद्री सीमा को लेकर 2022 में एक समझौता करवाया था। होखस्टाइन ने मई में कहा कि उन्हें हिजबुल्लाह और इसराइल के बीच शांति की उम्मीद नहीं थी।
हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ बिंदुओं पर सहमति, विवाद को खत्म करके लेबनान और इसराइल के बीच सीमा तय कर सकती है। फरवरी में फ्रांस ने लेबनान के सामने एक प्रस्ताव रखा जिसमें हिजबुल्लाह लड़ाकों को सीमा से 10 किलोमीटर पीछे हटने और जमीनी बॉर्डर से जुड़ा समझौता शामिल था।(फ़ाइल चित्र)