पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ आयोग ने घोषणा की कि टैरिफ-मुक्त सीमा से ज्यादा होने वाले स्टील आयात पर शुल्क बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा। टैरिफ-मुक्त सीमा को भी 47 फीसदी घटाकर 18।3 मिलियन टन सालाना कर दिया जाएगा। फिलहाल यह प्रस्ताव संघ के 27 सदस्य देशों और यूरोपीय संसद की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
दुनिया भर में बढ़ते हुए स्टील उत्पादन और यूरोप में घटते हुए उत्पदान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। चूंकि, फिलहाल यूरोपीय संघ की एक-तिहाई स्टील उत्पादन क्षमता खाली पड़ी है।
लेकिन ऐसे में यूरोपीय संघ पर कई तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं। खासकर इसलिए क्योंकि वह खुद को मुक्त व्यापार के सबसे बड़ा पक्षधर के रूप में पेश करता है। अब उस पर अमेरिका के नक्शे-कदमों पर चलने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि इसके जरिये ईयू अपने घरेलू स्टील उद्योग को बचाना चाहता है। साथ ही, यूरोपीय संघ, यूरोपीय स्टील निर्यात पर अमेरिका के साथ एक बेहतर सौदे की तलाश में है।
क्या ईयू का यह कदम घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए है?
ईयू के स्टील उद्योग पर आई मुसीबत के लिए बड़े स्तर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। चूंकि, चीन में होने वाले स्टील के अधिक उत्पादन को सस्ती दरों पर यूरोप में डंप करता है। फिर भी चीन ने यूरोपीय संघ के इस कदम संरक्षणवाद की ओर बढ़ाया कदम बताया।
वीचैट पर जारी किए एक बयान में चाइना चैंबर ऑफ कॉमर्स इन द ईयू ने ग्लोबल टाइम्स अखबार से कहा, "हालांकि चीन के स्टील निर्यात का ईयू में हिस्सा काफी छोटा है। लेकिन यह कदम ईयू में बढ़ रहे व्यापार संरक्षणवाद की ओर संकेत देता है।” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह बरसों से चली आ रही ईयू की नियम-आधारित व्यापार नीति के भी खिलाफ है।
दूसरी ओर, ईयू ने कहा कि यह टैरिफ केवल सीमा से अधिक आयात पर लगाए जायेंगे। जबकि टैरिफ-मुक्त स्टील कोटा अभी भी मौजूद है।
यूरोपियन स्टील एसोसिएशन ने भी इस नीति का स्वागत किया। उन्होंने इसे स्टील उद्योग के लिए एक नई जीवन रेखा बताया। चूंकि, पिछले 15 सालों में इस उद्योग से लगभग एक लाख नौकरियां खत्म हुई हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय आयोग का यह फैसला विश्व व्यापार संगठन के व्यापार नियमों के अनुरूप ही है।
साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि यह कुल आयात पर लगने वाले अमेरिका के 50 टैरिफ से काफी अलग है। ईयू में टैरिफ रेट कोटा प्रणाली लागू होगी। जिससे एक निश्चित मात्रा में बिना टैक्स के यूरोप में स्टील आयात किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि केवल कोटा से ऊपर वाले आयात पर ही 50 फीसदी का शुल्क लागू होगा, ताकि अस्थायी आयात को रोका जा सके। वैसे भी 1.8 करोड़ टन स्टील 2013 से पहले की आयात स्थिति को दर्शाता है। तब तक चीन ने बाजार में थोक मात्रा में स्टील भेजना शुरू नहीं किया था। साथ ही, यह फ्रांस, बेल्जियम और लक्जमबर्ग के संयुक्त उत्पादन के बराबर है।
ट्रंप से रियायत पाने की आस में है यूरोपीय संघ?
ईयू का स्टील पर लगाया गया यह टैरिफ, ट्रंप के टैरिफ की तरह है। जो उन्होंने साल की शुरुआत में लगाया था। ईयू के व्यापार आयुक्त ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूरोपीय संघ ने "यूरोपीय तरीके से” कदम उठाया है। जिसका मकसद है कि यूरोपीय बाजार खुले रखे जाएं और साझेदारों को कोटा दिया जाए।
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ईयू ने यह कदम ट्रंप को खुश करने के लिए उठाया है। ताकि वह यूरोपीय स्टील पर लगे 50 फीसदी शुल्क को कम कर दें।
यूरोपीय स्टील एसोसिएशन ने भी कहा कि उन्हें अमेरिका से रियायत की उम्मीद है। संगठन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि ये नए नियम ट्रंप प्रशासन के साथ नए संवाद की शुरुआत करेंगे। ताकि शुल्क हटाए जाएं और विश्व भर में हो रहे स्टील के अत्यधिक उत्पादन से बचा जा सके।”
यूके और भारत पर हो सकता है गंभीर असर
इस टैरिफ के चलते ब्रिटेन में भी चिंता बढ़ रही है। यूरोपीय संघ के स्टील टैरिफ ब्रिटिश स्टील उद्योग को "खतरे” में डाल सकते हैं। कम्युनिटी ट्रेड यूनियन के सहायक महासचिव के अनुसार लगभग 80 फीसदी ब्रिटिश स्टील का निर्यात ईयू को किया जाता है। लेकिन अब यदि यह बाजार बंद हो जाता है, तो ब्रिटिश नौकरियों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
वहां के प्रधानमंत्री, किएर स्टार्मर ने इस हफ्ते घोषणा की कि वे अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रहे हैं।
हालांकि, जर्मन मार्शल फंड की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पेनी नास ने संभावना जताई है कि यूके को चीन से बचने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
साथ ही, भारत पर भी इसका गंभीर असर देखने को मिल सकता है। भारतीय स्टील मंत्रालय के सचिव, संदीप पोंड्रिक के अनुसार 2024 में लगभग 33 लाख टन यानी भारतीय स्टील निर्यात का लगभग 60 फीसदी ईयू के बाजार में गया था।
हालांकि, इस समय ईयू और भारत मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इस सप्ताह एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के ब्रसेल्स पहुंचने की संभावना है। फिर ईयू के कार्बन उत्सर्जन नियमों के तहत भी भारतीय स्टील पर टैरिफ लगाना पहले ही एक विवाद वाला मुद्दा है।