जन्म कुंडली में पिता का भाव दशम माना गया है। दशम भाव व दशम भाव पर बैठे ग्रह ही उस जातक के लिए लाभकारी होते हैं। सी जातक की कुंडली में दशम भाव बलवान हो तो उसको पिता का धन मिलता है।
दशम भाव में उच्च का शुक्र हो तो उस जातक को पिता से धन लाभ मिलता है। यदि दशम भाव का स्वामी लग्न में हो, तब भी पिता से धन लाभ मिलता है। दशम भाव का स्वामी दशम भाव में ही हो तो पिता के कारोबार से सहयोग द्वारा धन का लाभ होता है।
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लग्नेश जब दशम भाव में दशम भाव के स्वामी के साथ हो तो पिता के सहयोग से धनार्जन होता है। दशम भाव का स्वामी मित्र राशि का होकर चतुर्थ भाव में हो तो उस जातक को पिता की संपत्ति मिलती है। उच्च का शुक्र जिस जातक की पत्रिका में दशम भाव में हो, तब पिता से धन का लाभ मिलता है।
जिस जातक की पत्रिका में नवम भाव का स्वामी लग्न में हो व दशमेश की दृष्टि पड़ती हो, तो उस जातक को पिता का संचित धन का लाभ मिलता है।
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धन का स्वामी शुक्र हो, दशमेश हो व लग्न के साथ चतुर्थ भाव का स्वामी भी साथ हो, तो उस जातक को धन का लाभ अवश्य मिलता।
दशम भाव का स्वामी शनि हो तो उस जातक को पिता के कारोबार से धन मिलता है। गुरु-चन्द्र साथ होने पर पिता का सहयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
जिस जातक की कुंडली में दशम भाव का स्वामी लग्न में हो, व लग्न का स्वामी दशम भाव में हो तो उसको पिता के कारोबार से धनलाभ रहता है।