जब जन्मकुंडली के प्रथम भाव में अंक 3 लिखा होता है। मिथुन लग्न चूँकि बुध के स्वामित्व का लग्न है अत: इस लग्न के व्यक्ति बुद्धिमान, मिलनसार और वाचाल होते हैं।
शुभ ग्रह : लग्न और चतुर्थ का स्वामी होकर बुध शुभतायुक्त है। शुक्र पंचमेश होकर अति शुभ है। शनि भी नवमेश होकर शुभ हो जाता है। इन ग्रहों की स्थिति कुंडली में अच्छी हो तो इनकी दशा-महादशा व प्रत्युंतर बहुत फलकारक होता हैं। यदि ये ग्रह कुंडली में अशुभ स्थानों में हो तो योग्य उपाय करना चाहिए।
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अशुभ ग्रह : तृतीयेश सूर्य, पष्ठेश और एकादशेष मंगल तथा सप्तमेश-दशमेश शुभ नहीं होते। इनकी दशा-महादशाएँ तकलीफदेह हो सकती है। अत: इनके शांति उपाय करना चाहिए।
तटस्थ : द्वितीयेश चंद्रमा इस लग्न हेतु तटस्थ रहता है।
मिथुन लग्न वालों को पन्ना और हीरा पहनना लाभ दे सकता है। बुधवार और शुक्रवार विशेष फलदायी है। मिथुन लग्नवाले व्यक्तियों को कर्क, धनु, और मीन राशि या लग्न के लोगों से विवाह संबंधों से बचना चाहिए। ऐसे व्यक्ति गणना व बौद्धिक क्षेत्रों में अधिक सफल होते हैं।