विविध भावों में लग्नेश

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लग्न के बारे में हम जान ही चुके हैं। लग्न भाव में जो भी राशि होती है उसका स्वामी लग्नेश कहलाता है जैसे मेष राशि लग्न में हो तो मंगल लग्नेश बनेगा। लग्नेश की स्थिति जिस भाव में हो, उसके अनुसार कुंडली का फलादेश प्रभावित होता है। आइए विस्तार से जानें -

1. लग्नेश लग्न में हो तो अच्छा स्वास्थ्‍य रहता है। आत्मविश्वास रहता है, यश मिलता है, दीर्घायु होते हैं।
2. लग्नेश द्वितीय स्थान में होने से परिवार की उन्नति होती है, सुख-शांति रहती है। आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।
3. लग्नेश तृतीय स्थान में होतो छोटे-छोटे प्रवास होते हैं। लिखने-पढ़ने में रुचि रहती है, भाई-बहनों का सुख मिलता है।
4. लग्नेश चौथे स्थान में हो तो मन प्रसन्न रहता है, स्वभाव मौजी होता है। घर-वाहन का सुख मिलता है।
5. लग्नेश पंचम में होने पर शिक्षा में, कला में यश मिलता है। संतति सुख अच्छा रहता है।
6. लग्नेश षष्ठ भाव में हो तो स्वास्थ्‍य में परेशानी होती है। किए गए कार्य का यश नहीं मिलता। मामा-मौसी का प्रेम मिलता है।
7. लग्नेश सप्तम में होने पर मनचाहा विवाह होता है। व्यवसाय में यश मिलता है।
8. लग्नेश की अष्टम स्थिति जीवन को संघर्षमय बनाती है, आयु घटती है, स्वास्थ्य कष्ट बना रहता है।
9. लग्नेश नवम में हो तो आध्यात्मिक प्रगति होती है। भाग्य साथ देता है। यश-कीर्ति मिलती है। विदेश यात्रा होती है।
10. लग्नेश की दशम स्थिति नौकरी में पदोन्नति, राज्य से सम्मान, पितृ सौख्य, प्रतिष्ठा देती है।
11. लग्नेश एकादश में हो तो मित्र अच्छे मिलते हैं। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण रहता है, उनसे सहयोग मिलता है।
12. लग्नेश की व्यय में स्थिति जीवन को कष्टमय बनाती है। व्यक्ति अपराधी, व्यसनाधीन बन जाता है। शुभ ग्रहों का साथ हो तो परदेश गमन होता है, प्रगति होती है।

विशेष : लग्नेश पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो शुभ फल घटते हैं।

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