कुंडली से जानें उच्च अधिकारी बनने के योग

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प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए अपनी प्रतिभा व परिश्रम का विशेष महत्व होता है, लेकिन किसी ने कहा है भाग्य के बगैर कुछ नहीं मिलता। कुछ मायने में यह सही भी है। लाख प्रयत्न करने के बावजूद व्यक्ति ऊँचाइयों पर नहीं पहुँच पाता और दूसरी तरफ साधारण प्रयास करने पर अन्य व्यक्ति सहज ऊँचाइयों पर पहुँच जाता है। कई अधिकारी वर्गों की जन्म कुंडली का अध्ययन करने के बाद, उनमें उच्च उन्नति कर सफल प्रशासनिक अधिकारी बनने वाले व्यक्तियों के ग्रहों के बारे में जानेंगे।

सर्वप्रथम जन्म लग्न, फिर नवम भाग्य भाव का महत्व, पराक्रम तृतीय भाव का महत्व, फिर धन व पंचम भाव का भी योगदान होकर चतुर्थ भाव, जो जनता व कुर्सी का होता है, मजबूत होना चाहिए। इन सब स्थानों के स्वामियों का जन्म कुंडली में विशेष महत्व होता है। तभी जाकर एक सफल प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ वो ऐसा कार्य कर जाते हैं, जो एक समाज में आदर्श होता है। पहले प्रशासनिक अधिकारी बनाने वाले ग्रहों के बारे में जानेंगे।

* लग्नेश का विशेष बलवान होना आवश्यक है एवं उसके स्वामी की स्थिति कारक भाव में हो।

* भाग्य का स्थान नवम व उसके स्वामी की स्थिति जन्म कुंडली में बलवान होनी चाहिए।

* द्वितीय भाव धन व कुटुंब का होता है। वहीं वाणी भाव भी है। इस भाव का विशेष महत्व होता है क्योंकि परिवार का सहयोग, धन का सहयोग व उस जातक की वाणी का प्रभाव भी विशेष महत्व रखता है।

* पंचम भाव का, जो विद्या का भाव है एवं पुत्रों का भी भाव कहलाता है, वहीं मनोरंजन का भी कारक है, बलवान होना भी विशेष महत्व रखता है।

* दशम भाव राज्य तथा उच्च नौकरी का भी भाव होता है। इन सबकी विशेष स्थिति जातक को उच्च अधिकारी व सफल नेता भी बनाती है।

ग्रहों का बलवान होना इस स्थिति से जानेंगे। लग्न का स्वामी चतुर्थ में हो और चतुर्थेश भी चतुर्थ में हो तो ऐसा जातक जनता में या अधीनस्थ कर्मचारियों में प्रसिद्ध होता है। भाग्य का पंचम में संबंध उस जातक को अपनी विद्या, बुद्धि द्वारा भाग्योन्नति होकर उच्च स्थान दिलवाता है। ग्रह उच्च राशि के हों या मूल त्रिकोण लग्न पंचम नवम में हो या अपनी मित्र राशि के हों तो उसे बलवान ग्रह कहते हैं। वहीं ग्रहों का उदय एवं मार्गी होना आवश्यक भी है और शत्रु क्षेत्री है तो वक्री होना लाभदायक रहता है।

सफल प्रशासनिक अधिकारियों की जन्म कुंडली अधिकतर वृषभ, कर्क, धनु एवं सिंह लग्न की देखने को मिलती है, जो अपने बल, परिश्रम व योग्यता से आगे बढ़ते हैं। यहाँ पर उच्च प्रशासनिक अधिकारी भविष्य निधि आयुक्त महेंद्र राजू की कुंडली का विवेचन करेंगे।

इनका जन्म लग्न वृषभ है, जो स्थिर लग्न है। इनकी पत्रिका में विशेष पराक्रमेश चंद्र उच्च का बैठा है, वहीं पराक्रम में द्वादशेश व सप्तमेश मंगल नीच का बैठा है, जो नीच भंग राजयोग का निर्माण कर रहा है। चतुर्थ भाव में स्वराशि सूर्य द्वितीयेश व पंचमेश बुध व लग्नेश व षष्ठेश शुक्र बैठा है। एकादश भाव में आय भाव व अष्टम भाव का स्वामी गुरु बैठा है, राहु के साथ। वृषभ लग्न वाले जातक धैर्यवान, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी एवं मस्तमौला होते हैं।

ऐसे जातक अपनी धुन के पक्के होते हैं और एक बार जो ठान लेते हैं, उसे पाकर ही रहते हैं। यहाँ पर उच्च का चंद्रमा अनेक कलाओं का जानकार भी बनाता है। पराक्रम में नीच का मंगल बैठा है, लेकिन नीच भंग होने से मंगल को उच्च बल प्राप्त हुआ एवं भाग्य पर उच्च दृष्टि व भाग्येश शनि का त्रिकोण पंचम भाव में बैठना ही जातक को भाग्यशाली बनाता है। वहीं गुरु भाव अष्टम एवं राहु के साथ आय भाव में बैठा है। अतः ऐसे जातक ईमानदारी से आय का लाभ पाते हैं, लेकिन राहु साथ होने से अकस्मात खर्च भी होते हैं।

यहाँ शनि उच्चाभिलाषी भी है, अतः विद्या में उच्च आकांक्षा होती है। चतुर्थ भाव में चतुर्थेश अपने कर्मचारियों या जनता में प्रभावी बनाता है। चंद्र मन का कारक है, जो उच्च का है। अतः ऐसे जातक प्रेमी स्वभाव व हँसमुख होने के साथ-साथ भावना प्रधान भी होते हैं। अभी इन्हें भाग्येश शनि में शनि का अंतर चल रहा है, जो भाग्य में वृद्धि कर भाग्यशाली भी बनाएगा। इस प्रकार हम जान सकते हैं कि उच्च प्रशस्ति होने के कारण जनप्रिय किन ग्रहों से बनता है।

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