ज्योतिष में लग्न कुंडली का बड़ा महत्व है। व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में जो राशि उदित होती है, उसे ही उसके लग्न की संज्ञा दी जाती है। कुंडली के प्रथम भाव को लग्न कहते हैं।
प्रत्येक लग्न के लिए कुछ ग्रह शुभ होते हैं, कुछ अशुभ। आज हम मेष लग्न की चर्चा करेंगे। यदि लग्न भाव में 1 अंक लिखा है तो व्यक्ति का लग्न मेष होगा।
शुभ ग्रह : लग्न का स्वामी शुभ होता है। अत: मंगल शुभ माना जाएगा। हालाँकि अष्टमेश है मगर दोष होने से शुभ है। इसी तरह बृहस्पति भी नवम भाव (त्रिकोण) का स्वामी होने से अति शुभ है। हालाँकि यह 12वें भाव का स्वामी भी है मगर वह नवम का ही फलित देगा। ये तीनों ग्रह मेष लग्न के लिए कारक ग्रह कहलाएँगे और अपनी दशा-महादशा में जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएँगे। यदि कुंडली में ये ग्रह निर्बल हों तो पूजा, मंत्र जाप, रत्न, जड़ी अादि द्वारा इन्हें बलवान करना आवश्यक है।
अशुभ ग्रह : मेष लग्न के लिए बुध बेहद अशुभ है क्योंकि तीसरे और छठे भाव का स्वामी है। शु्क्र भी दशा में मारकेश बनता है क्योंकि द्वितीय और सप्तम का स्वामी है (पापी भाव)। शनि दशमेश होकर शुभ मगर आयेश होकर फिर पापी हो जाता है। ये तीनों ग्रह मेष लग्न के लिए अकारक हैं और अपनी दशा-महादशा में हानि पहुँचाते हैं। कुंडली में इनका निर्बल होना ही अच्छा है। इनकी शुभ भावों में स्थिति भाव के फलों का नाश करती है। इन ग्रहों के रत्न नहीं पहने जाते, इन्हें मंत्र, दान और पूजा-पाठ से शांत रखा जाता है।
तटस्थ ग्रह : चंद्रमा चतुर्थ का स्वामी होकर मेष लग्न के लिए तटस्थ हो जाता है। यह हानि-लाभ में विशेष योगदान नहीं देता।
मेष लग्न वालों के लिए मूँगा, माणिक व पुखराज शुभ है। मंगलवार, रविवार व बृहस्पतिवार शुभ दिन हैं। सफेद, पीला और लाल रंग शुभ हैं। हनुमानजी की आराधना लाभ देगी।