साहब, यह मनुष्य प्रजाति के जीव हैं, अपनी आदतें इतनी आसानी से नहीं छोड़ते। ये तभी बदलेंगे, जब हमारे पूर्वज वानर गुलाटी मारना बंद कर देंगे। पूरी सरकार बदलने से व्यवस्था नहीं बदली, नोटबंदी से भ्रष्टाचार नहीं बदला, स्वच्छ सर्वेक्षण से शहरों की सूरत नहीं बदली, मंदिर-मंदिर जाने से सरकार नहीं बदली, ट्रंप के ट्वीट से पाकिस्तान की नीयत नहीं बदली, किम जोंग की धमकी से ट्रंप के तेवर नहीं बदले, राज्यसभा के लिए तमाम उठापटक के बावजूद कुमार की किस्मत नहीं बदली, महाराष्ट्र की जातीय हिंसा बताती है कि आम चुनाव में लड़ने के लिए की जाने वाली तैयारी नहीं बदली। यहाँ तक कि मेरे व्यंग्य लेखों के तंज़ भी नहीं बदले, क्या बदल गया? कुछ भी तो नहीं।