एयर स्ट्राइक से यूपी में कांग्रेस के 'प्रियंका प्लान' को झटका, अब नए सिरे से रणनीति पर काम

सियासत में कहावत है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है, जो पार्टी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करती है, उसकी दिल्ली में सरकार बनाने की संभावना उतनी ही अच्छी रहती है। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने मोदी लहर के भरोसे उत्तर प्रदेश में अस्सी सीटों में एकतरफा 71 सीटों पर जीत हासिल कर अपने बल पर बहुमत का आंकड़ा पार कर केंद्र में सरकार बनाई थी।
 
2009 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में 21 सीटें जीतने वाली देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस केवल अपनी परंपरागत सीटें अमेठी और रायबरेली ही जीत सकी थी। इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सेमीफाइनल माने गए तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से करीब सौ दिन पहले उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत कर अपने सबसे बड़े चेहरे प्रियंका गांधी पर दांव लगाते हुए उन्हें कांग्रेस महासचिव बनाकर लोकसभा चुनाव के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी दे दी।
 
प्रियंका की सियासी एंट्री उत्तर प्रदेश में चुनाव दर चुनाव दम तोड़ती कांग्रेस के लिए संजीवनी के तौर पर देखी गई। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में नई जान फूंकने और कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार करने के लिए प्रियंका की सियासी लांचिंग के तौर पर लखनऊ में एक भव्य रोड शो का कार्यक्रम रखा गया था। 11 फरवरी को जब प्रियंका गांधी ने पार्टी अध्यक्ष और भाई राहुल गांधी के साथ नवाबों की नगरी में अमौसी एयरपोर्ट से कांग्रेस दफ्तर तक करीब बारह किलोमीटर लंबा रोड शो किया तो पूरे सियासी समीकरण बदलते हुए दिखाई दिए।
 
लखनऊ की सड़कों पर जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा उसको देखकर लगा कि इस बार कांग्रेस प्रियंका के भरोसे उत्तर प्रदेश में वो चमत्कार कर पाएगी, जिसकी जरूरत कांग्रेस का आम कार्यकर्ता लंबे अरसे से महसूस कर रहा है। प्रियंका ने आते ही मोर्चा संभाल लिया। शहर की सबसे प्राइम लोकेशन माल एवेन्यू स्थित कांग्रेस दफ्तर का नजारा देखते ही देखते बदल गया।
 
पार्टी ने प्रियंका को उस पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी दी थी, जिसकी पहचान किसी समय कांग्रेस के गढ़ के रूप में होती थी, लेकिन जैसे-जैसे वक्त के साथ गंगा से लेकर सरयू तक के पानी का रंग बदलता गया, वैसे-वैसे इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में सियासत का रंग भी केसरिया से भगवा रंग में रंगने लगा। 
 
आज बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में आने वाले जिले बनारस से सांसद हैं तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं। कांग्रेस ने भी वक्त की नजाकत भांपते हुए बीजेपी के इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए सबसे बड़े चेहरे पर दांव लगाने का साहसिक फैसला किया है, लेकिन कांग्रेस की प्रियंका को लेकर बनाई गई रणनीति को एक ऐसा झटका लगा जिसके बारे में न तो कभी कांग्रेस के रणनीतिकारों ने सोचा होगा और न ही कोई सोच भी सकता है।
 
प्रियंका की उत्तर प्रदेश में सियासी एंट्री के चौथे दिन ही यानी 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया, जिस दिन ये  हमला हुआ, उसी दिन प्रियंका गांधी बतौर कांग्रेस महासचिव अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस लखनऊ में करने वाली थीं, लेकिन आतंकी हमले के बाद प्रियंका ने शहीदों को नमन करते हुए पहले से तय अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी। 
 
इसके बाद बदले माहौल में प्रियंका के कई कार्यक्रम रद्द होते चले गए। इस बीच प्रियंका कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने पर काम करती हैं। इसी बीच 26 फरवरी को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए वायुसेना की एयर स्ट्राइक के बाद सियासी समीकरण बदलने लगे। इन बदले सियासी समीकरणों ने कांग्रेस की प्रियंका गांधी को लेकर बनाई गई रणनीति को तगड़ा झटका दिया।
 
सूत्र बताते हैं कि पार्टी इलाहाबाद में लगे कुंभ में आखिरी शाही स्नान से पहले प्रियंका गांधी को ले जाने का कार्यक्रम बना रही थी, लेकिन बदले माहौल में उस कार्यक्रम को भी अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। वहीं पार्टी मार्च के दूसरे हफ्ते से प्रियंका के एक बड़े चुनावी दौरे का प्लान भी तैयार कर रही थी, जिस पर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है।
 
एयर स्ट्राइक से कांग्रेस के प्रियंका प्लान को लेकर वेबदुनिया के सवाल पर उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पहले से बनाई रणनीति पर ही काम करना चाहिए, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अगर एयर स्ट्राइक की बात होगी तो मोदी सरकार के उन अधूरे वादों की भी बात होगी, जिसे सरकार ने पूरा नहीं किया। वहीं सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में एक बार फिर अपनी चुनावी रणनीति की समीक्षा कर बसपा और सपा गठबंधन से तालमेल करने पर भी विचार कर रही है।

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