कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 20 अप्रैल को अपना नामांकन भरने का एलान भी कर दिया है लेकिन भोपाल सीट पर काबिज भाजपा की तरफ से पार्टी का चेहरा कौन होगा इस पर अभी भी संशय बना हुआ है। भाजपा भोपाल, विदिशा, गुना और सागर जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवारों के नाम अब तक तय नहीं कर पाई। इनमें से भोपाल और विदिशा तो भाजपा का गढ़ माने जाने वाली लोकसभा सीट है और गुना ऐसी सीट है जहां भाजपा 2014 में मोदी लहर में हारने के बाद उस पर जीत हासिल करने के लिए अपना पूरा फोकस करने की बात कह रही थी।
दूसरी ओर कांग्रेस ने भोपाल से दिग्विजय और गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारकर भाजपा के सामने संकट और बढ़ा दिया। भाजपा में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार को लेकर जितना कन्फ्यूजन इस बार दिखाई दे रहा है उसको लेकर अब सवाल उठने लगा है। मध्य प्रदेश में भाजपा का संगठन जो देश में अन्य राज्यों के सामने एक आर्दश संगठन के तौर पर जाना जाता था उस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सवाल ये हैं कि क्या विधानसभा चुनाव की एक हार ने भाजपा संगठन को तोड़ दिया है या भाजपा के पास ऐसे चेहरे नहीं है जो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का मुकाबला कर सके। बात करे भोपाल से तो चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही करीब एक दर्जन नाम भाजपा की तरफ से आगे बढ़े, लेकिन मैदान में दूसरी तरफ दिग्विजय के आने के बाद इस सीट से केंद्रीय मंत्री उमा भारती और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जोर शोर आगे बढ़ा लेकिन दोनों ही नेताओं ने सार्वजनिक तौर चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर दिया।
पार्टी के दोनों ही बड़े चेहरे तर्क देते है कि दिग्विजय को पार्टी का साधारण कार्यकर्ता ही हार देगा। लेकिन क्या धरातल पर क्या ऐसा दिखाई देता है। वेबदुनिया ने जब भोपाल की सियासी हवा को जानने की कोशिश की तो भाजपा के समर्थक और नेता दोनों ही कन्फूयज दिखाई दिए। नामांकन भरने की तारीख शुरू होने तक किसी को नहीं पता कि भोपाल से पार्टी का चेहरा कौन होगा।
ऐसा नहीं कि इस बार भाजपा केवल भोपाल सीट से कन्फूयजन की हालत में दिखाई दी,सूबे की अन्य सीटों पर भी पार्टी ने जो चेहरे उतारे है उसको लेकर कार्यकर्ताओं में संशय दिखाई दे रहा है जिसका खमियाजा उम्मीदवारों के विरोध प्रदर्शन के रुप में सामने आ रहा है। विरोध प्रदर्शन की सबसे नई तस्वीर छतरपुर से आई है जहां पार्टी के उम्मीदवार वीडी शर्मा के विरोध में वीडी शर्मा गो बैक के नारे पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही लगा दिए।