जया प्रदा पहले मंदिर गईं, पूजा-अर्चना की और फिर नामांकन दाखिल किया। जयाप्रदा ने कहा एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'रामपुर नहीं छोड़ना चाहती थी, मजबूरी में छोड़ कर गई। मेरे ऊपर तेजाब से हमले की साजिश थी, मेरे ऊपर हमला हुआ था। मैंने गुनाह किया है तो मुझे सजा दीजिए, मैंने आपके विकास के लिए जुल्म सहा है। आज मैं भी जिद्दी हूं।