जम्मू। लोकसभा चुनावों के लिए कश्मीर में दोहरा प्रचार होने लगा है। एक इसके समर्थन में और दूसरा विरोध में। विरोध में प्रचार करने वालों का आलम यह है कि वे पत्थरबाजों का सहारा भी लेने लगे हैं। ऐसे में सुरक्षाधिकारियों ने राजनीतिक दलों को ऐसे माहौल से अपना बचाव खुद करने को कहा है, जहां पत्थरबाजी की आशंका हो, क्योंकि उनका कहना है कि पत्थरबाजी से सुरक्षा कवच मुहैया करवा पाना लगभग असंभव होता है।
दरअसल, नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा के पूर्व स्पीकर मुबारक गुल गुरुवार को चुनाव विरोधी तत्वों के पथराव में बाल-बाल बच गए थे, लेकिन उनका एक कार्यकर्ता जख्मी हो गया। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंच हल्का बल प्रयोग कर हिंसक तत्वों को खदेड़ा। आधिकारिक तौर पर किसी भी पुलिस अधिकारी ने पथराव की पुष्टि नहीं की है।
जानकारी के लिए चुनाव प्रचार करने वालों पर पत्थरबाजी करने का सिलसिला कोई नया भी नहीं है। पिछले लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में भी पत्थरबाज अपना रंग दिखा चुके हैं। यहां तक कि फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती समेत कई वरिष्ठ नेता भी पत्थरबाजी का स्वाद कई बार चख चुके हैं।