भोपाल। मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में इस बार आदिवासी सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में आरपार की लड़ाई है। विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जहां कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं तो वहीं बीजेपी भी अपना गढ़ बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इन सीटों पर टिकट बंटवारा करना बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है। दोनों ही दलों में आदिवासी सीटों को लेकर इतनी खींचतान है कि जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार इन सीटों पर टिकट बंटवारा आसान नहीं होगा।
विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासी विधायकों के साथ बैठक कर सभी को लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने की नसीहत दी है तो बीजेपी की तरफ से इन आदिवासी इलाकों में गहरी पैठ रखना वाला संघ भी सक्रिय दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस का आदिवासी गणित : मध्यप्रदेश में कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाने वाली आदिवासी आरक्षित छह लोकसभा सीटों पर पिछली बार लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले थे। मोदी लहर के चलते बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में तगड़ी सेंध लगाते हुए पूरी छह लोकसभा सीटें हासिल कर ली थीं, हालांकि बाद में उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक सीट झाबुआ-रतलाम पर कब्जा कर लिया था।
अगर इस बार इन सीटों पर कांग्रेस का सियासी गणित देखें तो रतलाम झाबुआ सीट से वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया का चुनाव लड़ना तय है। इसके साथ ही धार से गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का टिकट भी तय माना जा रहा है। राजूखेडी 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। मंडला, धार, बैतूल और खरगोन पर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तय करना काफी मुश्किल हो रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने वाली जयस ने लोकसभा चुनाव में तीन सीटों की मांग कर दी है।
जयस ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किल : सूबे में सत्ता पर काबिज कांग्रेस के लिए जयस ने एक बार फिर बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है, जयस ने कांग्रेस के सामने तीन आदिवासी लोकसभा सीट खरगोन, धार और बैतूल सीट की मांग रख दी है। जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस के टिकट पर मनावर से विधायक चुने गए हीरालाल अलावा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलकर संगठन के इरादों को साफ कर दिया है। हीरालाल अलावा ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि अब फैसला कांग्रेस को करना है नहीं तो जयस के विकल्प खुले हैं। अलावा दावा करते हैं कि बीजेपी से भी उनके पास मिलने का ऑफर आया है, लेकिन वो कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रहे हैं।
आसान नहीं बीजेपी की राह : 2014 के लोकसभा चुनाव में 6 आदिवासी लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी के लिए इस बार राह आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह कमबैक किया है़ उससे कई सीटों पर बीजेपी का गणित बिगड़ गया है। इसके साथ ही बीजेपी के सामने टिकट बंटवारा भी बड़ी समस्या बना हुआ है। बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे जाति प्रमाण पत्र मामले में संकट में हैं तो मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ उनकी ही पार्टी में विरोध है।
टिकट की दूसरी दावेदार राज्यसभा सांसद संपत्तिया उइके के बेटे का पिछले दिनों स्मैक के साथ पकड़े जाने से उनके समीकरण बनते-बनते बिखरते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रतलाम सीट पर कांग्रेस को टक्कर देने के लिए बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है, शहडोल और खरगोन में भी पार्टी मौजूदा सांसदों को टिकट देने से परहेज करती हुई दिखाई दे रही है।