12 जनवरी 1971 को जन्मीं प्रियंका के यूपी में पार्टी की कमान संभालने से यहां कांग्रेस को जीवनदान मिल सकता है। फिलहाल राज्य में कांग्रेस के पास केवल दो ही सीटें हैं। न तो पार्टी के पास यहां ज्यादा नेता दिखाई देते हैं न जनता के बीच उसका अब बहुत ज्यादा असर दिखाई देता है। वह केवल अमेठी और रायबरेली जैसी परंपरागत सीटों पर सिमटी हुई दिखाई देती है।
प्रियंका के सक्रिय होने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को यूपी में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। दूसरी ओर राहुल के लिए यूपी को छोड़कर अन्य राज्यों में मेहनत करने के लिए ज्यादा समय भी मिल सकेगा। ऐसे में राज्य में पहले ही महागठबंधन से परेशान भाजपा क्या रणनीति अपनाएगी, यह देखना भी दिलचस्प होगा।
प्रियंका एक राजनेता के रूप में कितना सफल होती है यह तो समय ही बताएगा, फिलहाल भाजपा और मोदी को जल्द ही हर हाल में उनका तोड़ ढूढना ही होगा। उनमें भीड़ को अपनी ओर खींचने की क्षमता है। अगर कांग्रेस ने इसे भुना लिया तो न सिर्फ यूपी में उसकी सीटें बढ़ सकती है बल्कि देशभर में उसे फायदा हो सकता है।