lok sabha election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव (lok sabha election) का दौर चल रहा है। इसी बीच यह भी सामने आ रहा है कि भारत का यह आम चुनाव दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव होगा। पीटीआई की खबर के मुताबिक NGO सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने यह दावा किया कि इन लोकसभा चुनाव में अनुमानित खर्च 1.35 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह राशि 2019 के चुनावों में हुए खर्च से दोगुने से भी अधिक है।
कौनसे खर्च हैं शामिल : सीएमएस 35 वर्षों से चुनाव खर्च के आंकड़ों पर बारीकी से नजर रख रहा है। संस्थान के अध्यक्ष एन. भास्कर राव ने कहा कि इस व्यापक खर्च में राजनीतिक दलों और संगठनों, उम्मीदवारों, सरकार और चुनाव आयोग सहित चुनावों से संबंधित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सभी खर्च शामिल हैं।
पारदर्शिता में कमी : नियमों के बाद चुनावी बॉन्ड से अलग तरीकों से भी चुनाव में पैसा घुस जाता है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने पाया कि प्रमुख राजनीतिक दलों को मिलने वाले कई दान अज्ञात स्रोतों से आते हैं, जिससे फंडिंग में पारदर्शिता की कमी का पता चलता है।
किन पर होता है ज्यादा खर्च : चुनाव खर्च का लगभग 30% मीडिया अभियानों में जाता है। चुनावों से पहले रैलियों, ट्रांसपोर्ट और कर्मचारियों को काम पर रखने जैसी चीजों पर बहुत सारा पैसा खर्च किया जाता है। राव ने राजनीतिक नेताओं की खरीद-फरोख्त की विवादास्पद प्रथा का भी ज़िक्र किया, जिससे खर्च बढ़ जाता है।
डिजिटल प्लेटफार्म का प्रयोग बढ़ा : पार्टियां अब डिजिटल प्लेटफार्म का अधिक उपयोग कर रही हैं, अपनी दृश्यता बढ़ाने के लिए पेशेवरों को नियुक्त कर रही हैं। यह परिवर्तन टीवी और प्रिंट जैसे पारंपरिक तरीकों को कम महत्वपूर्ण बना सकता है।
पार्टियां निकाल लेती हैं रास्ते : चुनाव प्रचार खर्च को सीमित करने के नियमों के बाद भी पार्टियां अभी भी ज्यादा खर्च करने के तरीके खोज लेती हैं। राव ने कहा कि अमीर उम्मीदवारों के पास चुनावों में ज्यादा ताकत होती है जो दिखाता है कि भारतीय राजनीति में विचारों से ज्यादा पैसे का महत्व है। इनपुट भाषा Edited by : Sudheer Sharma