abhijit gangopadhyay : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ टिप्पणी के मामले में निर्वाचन आयोग ने तमलुक से भाजपा प्रत्याशी अभिजीत गंगोपाध्याय के चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी।
निर्वाचन आयोग ने अभिजीत की टिप्पणियों की निंदा करते हुए इसे निम्न स्तर का व्यक्तिगत हमला और महिलाओं का सीधा अपमान बताया है। वे 21 मई की शाम 5:00 बजे से 24 घंटे तक चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे।
गौरतलब है कि 15 मई को हल्दिया में एक रैली के दौरान भाजपा नेता अभिजीत गांगुली ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इसकी शिकायत तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की थी।
निर्वाचन आयोग ने गंगोपाध्याय को बनर्जी के खिलाफ असम्मानजनक टिप्पणी को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसका जवाब उन्होंने सोमवार को दाखिल किया था।
आयोग ने आदेश में कहा कि आयोग ने अभिजीत गंगोपाध्याय के उपरोक्त उत्तर में दी गई सामग्री और कथनों को ध्यान से पढ़ा है और दिए गए बयान को फिर से देखा है। आयोग आश्वस्त है कि उन्होंने निम्न स्तर का व्यक्तिगत हमला किया है और इस प्रकार आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
निर्वाचन आयोग के इस फैसले से अभिजीत गंगोपाध्याय को बड़ा झटका लगा है। तमलुक में 25 मई को मतदान होना है। यहां गंगोपाध्याय का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस नेता देबांग्शु भट्टाचार्य से है।
कौन है जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय : हाजरा कॉलेज, से लॉ की पढ़ाई करने वाले न्यायाधीश गांगुली राज्य सेवा के अधिकारी भी रहे चुके हैं। 61 वर्ष के गांगुली 2018 में कलकाता हाईकोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 2020 में उनकी नियुक्ति स्थायी हुई थी।
साल 2022 में उन्होंने ही सीबीआई और ईडी को पश्चिम बंगाल में स्कूल नौकरियों में घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया था। उन्होंने 32000 शिक्षकों की बहाली को रद्द करने का आदेश दिया था। हालांकि डिविजन बैंच ने इस आदेश पर रोक लगा दी।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने एक समय सीबीआई को जांच की धीमी गति पर फटकार लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की बात कही थी। वह अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। जनवरी 2024 में उन्होंने उच्च न्यायालय के सहकर्मी जस्टिस सौमेन सेन पर राज्य में एक राजनीतिक दल के लिए के लिए काम करने का आरोप लगाया था।