देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) के अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में कम मतदान से जुड़ी चिंताओं को मिथक बताते हुए कहा है कि डाले गए मतों की कुल संख्या की तुलना करना मतदान के विश्लेषण का एक बेहतर तरीका है। भारतीय स्टेट बैंक में समूह मुख्य अर्थशास्त्री घोष ने कहा कि वास्तव में पहले दो चरणों में डाले गये वोटों की कुल संख्या में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें बढ़ती गर्मी और लू की वजह से भी मतदान पर असर पड़ने की आशंका जताई गई है। लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहा है और तीसरे चरण का मतदान मंगलवार को होना है।
घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि इस साल हो रहे आम चुनाव के पहले दो चरणों में कथित तौर पर कम मतदान के बारे में प्रचारित अंतहीन बहस एक मिथक है। डाले गये वोटों को मापने का एक बेहतर तरीका मतदाताओं की कुल संख्या है। चुनाव आयोग चुनाव के बाकी चरणों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है।
सोलहवें वित्त आयोग के अंशकालिक सदस्य घोष ने कहा कि मतदान 2019 के आम चुनावों के रुख से लगभग 3.1 प्रतिशत कम है। हालांकि उन्होंने कहा कि चुनाव के बाकी पांच चरणों में संख्या बढ़ सकती है और इसमें जे-आकार यानी स्थिर रुख के बाद तेज वृद्धि होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के दौरान मतदान प्रतिरूप में सात चरणों में गिरावट देखी गई थी। यह शुरू में 69.4 प्रतिशत रहा और अंत में 61.7 प्रतिशत पर आ गया। हमारा मानना है कि 2024 में स्थिति इसके उलट हो सकती है। पहले दो चरणों में किये गये मतदान की पूरी संख्या को देखते हुए मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
क्या बदलाव दिखे : इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक के पहले दो चरणों के कुछ अच्छे बदलाव भी देखने को मिले। इसमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। यह रुख आरक्षित सीटों पर भी देखने को मिला है।
1 लाख से अधिक बढ़ोतरी : एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि 2024 में कर्नाटक में मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि होगी जिसके बाद असम और महाराष्ट्र का स्थान होगा। निर्वाचन क्षेत्रों के विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि 85 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए वोटों की कुल संख्या में एक लाख से अधिक की वृद्धि हुई जबकि 25 निर्वाचन क्षेत्रों में यथास्थिति बनी रही। इस तरह 60 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में या तो मतदान बढ़ा है अथवा कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं है। इनपुट भाषा Edited by: Sudhir sharma