Purushottam Rupala filed nomination papers : केंद्रीय मंत्री और गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट (Rajkot Lok Sabha seat) से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला (Purushottam Rupala) ने मंगलवार को शहर में 2 किलोमीटर लंबा रोड शो निकालने के बाद राजकोट में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
कुछ दिन पहले क्षत्रियों के संबंध में रूपाला के बयान पर राजपूत समुदाय (Rajput community) के लोगों ने प्रदर्शन किए थे। रूपाला ने जब जिला निर्वाचन अधिकारी प्रभाव जोशी को नामांकन पत्र सौंपा तो उनके साथ गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी, पार्टी के राज्यसभा सदस्य केसरीदेव सिंह झाला तथा गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री भानुबेन बाबरिया उपस्थित थे।
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद रूपाला ने क्या कहा? : रूपाला ने नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कहा कि बड़ी संख्या में लोग मुझे आशीर्वाद देने आए हैं। मेरे समर्थन में पार्टी के वरिष्ठ नेता, पार्षद, विधायक और सांसद भी उपस्थित रहे। रेस कोर्स मैदान के पास रोड शो के समापन स्थल पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भाजपा नेता ने क्षत्रिय समुदाय के लोगों से अनुरोध किया कि राष्ट्रहित में उन्हें और उनकी पार्टी को सहयोग दें। क्षत्रिय समुदाय रूपाला के कुछ बयानों को लेकर उनका नामांकन रद्द करने की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहा है।
रूपाला की क्षत्रिय समुदाय से अपील : भाजपा नेता ने कहा कि मैं क्षत्रिय समुदाय से एक अपील करना चाहता हूं। देश के हित में आपका समर्थन भी महत्वपूर्ण है। मैं आपसे बड़ा दिल दिखाने और भाजपा का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं। भाजपा चुनाव के बाद केंद्र में एक बार फिर सरकार बनाएगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अगली सरकार के पहले 100 दिन के कामकाज की रूपरेखा तैयार भी कर ली है।
मोहन कुंडरिया की जगह रूपाला को मैदान में उतारा : भाजपा ने इस बार राजकोट सीट से 2 बार के सांसद मोहन कुंडरिया की जगह रूपाला को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पाटीदार बहुल इस सीट के लिए पूर्व विधायक परेश धनानी को उम्मीदवार बनाया है।
क्या कहा था रूपाला ने? : रूपाला ने यह दावा करके राजपूत समुदाय की नाराजगी मोल ले ली थी कि तत्कालीन 'महाराजाओं' ने अंग्रेजों के साथ-साथ विदेशी शासकों के उत्पीड़न के सामने घुटने टेक दिए थे। उन्होंने कहा था कि इन 'महाराजाओं' ने इन शासकों के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता भी रखा। रूपाला ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है, लेकिन राजपूत समुदाय के नेताओं ने रुख में बदलाव नहीं किया है।(भाषा)