विदिशा से कांग्रेस ने 2014 में जीते प्रत्याशी शशांक श्रीकृष्ण भार्गव को इस बार टिकट न देकर शैलेंद्र पटेल को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने रमाकांत भार्गव को सुषमा स्वराज की जगह मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक विदिशा लोकसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जिसे बीजेपी के नेताओं ने एक-दूसरे को उपहार में दी।
[$--lok#2019#constituency#madhya_pradesh--$]
परिचय : विदिशा भारतवर्ष के प्रमुख प्राचीन नगरों में से एक है। कुछ विद्वानों का मानना है कि विविध दिशाओं के लिए यहां से मार्ग जाने के कारण ही इस नगर का नाम विदिशा पड़ा। इसका पुराना नाम भेलसा भी है। विदिशा पर्यटकों एवं दर्शकों की रुचि के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय प्राचीन स्मारकों से भरा पड़ा है।
अर्थव्यवस्था : विदिशा में खेती-किसानी का कार्य प्रमुख रूप से किया जाता है। साथ ही यहां नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। यहां 30 करोड़ रुपए की लागत से उद्योगों के लिए आवश्यक सुविधाएं जुटाई जा रही हैं।
भौगोलिक स्थिति : विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व हिस्से में स्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र की जलवायु अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक है। कर्क रेखा के आसपास स्थित इस क्षेत्र में न अधिक ठंड पड़ती है, न ही अधिक गर्मी।
16वीं लोकसभा में स्थिति : भाजपा की दिग्गज नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज यहां की सांसद हैं। वे लगातार दो बार यहां से लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। सुषमा स्वराज ने चुनाव में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को हराया था। यह लोकसभा सीट देश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। 1967 से अस्तित्व में आए इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस सिर्फ 1980 और 1984 में ही चुनाव जीत पाई है।
मध्यप्रदेश के बारे में : मध्यप्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है। दोनों ही पार्टियां सभी 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, नकुलनाथ, प्रज्ञा ठाकुर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नंदकुमार चौहान, अरुण यादव जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। 2014 के चुनाव में भाजपा को 27 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। झाबुआ-रतलाम सीट कांग्रेस ने उपचुनाव में जीती थी।