मथुरा में कम मतदान से हेमा मालिनी और भाजपा की चिंता बढ़ी

Mathura Lok Sabha seat: मथुरा से तीसरी और आखिरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहीं भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी (Hema Malini) की कम मतदान ने चिंता बढ़ा दी है। इस बार मथुरा लोकसभा सीट पर 49 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है, जो कि 2019 के मुकाबले काफी कम है। पिछली बार इस सीट पर 60 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। 
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आसान नहीं हेमा की राह : मथुरा सीट पर पिछली बार के मुकाबले वोटिंग में करीब 11 फीसदी का अंतर है। इस अंतर ने न सिर्फ हेमा मालिनी बल्कि भाजपा की धड़कनें भी बढ़ा दी हैं। जानकारों की मानें तो इस बार हेमा की राह आसान नहीं दिख रही है, जबकि इस बार भाजपा का जयंत चौधरी की पार्टी आरएलएडी के साथ गठबंधन है।
 
2014 में सबसे बड़ी जीत : पिछले रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो 2014 में इस सीट पर 64 फीसदी मतदान हुआ था। इस चुनाव में हेमा सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतने में सफल रही थीं। उन्होंने 2014 में राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी को 4 लाख 30 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 
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2019 में जीत का अंतर कम हुआ : दूसरी ओर, 2019 में मतदान का प्रतिशत 2014 के मुकाबले घटा तो हेमा की जीत का अंतर भी कम हो गया। इस चुनाव में हेमा ने राष्ट्रीय लोकदल के ही कुंवर नरेन्द्र सिंह को 2 लाख 93 हजार वोटों से हराया था। 2014 के मुकाबले यह अंतर करीब 1 लाख 37 हजार है। 2024 आते-आते मतदान का प्रतिशत और बढ़ गया है। इसलिए हेमा की चिंता बढ़ना स्वाभाविक भी है। 
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दूसरे चरण में सबसे कम मतदान मथुरा लोकसभा सीट पर ही हुआ है, जबकि सबसे अधिक अमरोहा में 64.02 प्रतिशत हुआ है। यूपी में दूसरे चरण में 54.83 फीसदी मतदान हुआ है। 
क्यों कम हुआ मतदान : कम मतदान के पीछे गर्मी के साथ ही वोटरों की उदासीनता भी सामने आई। यह भी कहा जा रहा है कि हेमा मालिनी की उम्मीदवार से स्थानीय लोग काफी निराश थे, इसके चलते वे वोट डालने ही नहीं गए। एक जानकारी के मुताबिक नंद नगरिया, इरौली जुन्नारदार, बसाऊ, पीरी, सैदगढ़ी, नगला चिकन, भरऊअर, खप्परपुर, नगला अकोस, मुखराई, कोन्हई, बंडपुरा, देवपुरा आदि गांवों में लोगों ने विकास कार्य नहीं होने के कारण लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया। 
Edited by: Vrijendar Singh Jhala
 

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