DMK का इस बार भी दावा मजबूत, BJP को खाता खुलने की उम्मीद

शनिवार, 11 मई 2024 (20:41 IST)
-प्रशांत के, तमिलनाडु से 
Lok Sabha Elections 2024 : तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों पहले ही चरण में मतदान हो चुका है। इस बार भी एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ डीएमके और उसके सहयोगियों का ही दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। पिछले चुनाव में डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने 38 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एकमात्र थेनी सीट पर अन्नाद्रमुक के रवीन्द्र कुमार पी. विजयी रहे थे। भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। 
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भाजपा को उम्मीद : भाजपा को इस बार अपना खाता खुलने की उम्मीद है। भाजपा भले ही 10 साल से केन्द्र की सत्ता में है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उसका प्रभाव ज्यादा नहीं है। भाजपा को उम्मीद थी कि राम मंदिर निर्माण का फायदा उसे तमिलनाडु में मिलेगा, लेकिन जानकारों की मानें तो यहां पर राम मंदिर मुद्दे का कोई खास असर दिखाई नहीं दिया। हालांकि नोटबंदी, जीएसटी समेत अन्य स्थानीय मुद्दों ने मतदाताओं को प्रभावित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां पर कच्चातीवु द्वीप का मुद्दा भी अपनी रैलियों को जोरदार तरीके से उठाया। इसका भी लोगों असर होने की उम्मीद कम ही है। 
 
इस बार छोटे दलों से गठजोड़ : भाजपा ने इस बार कुछ छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ गठजोड़ किया था। लोकसभा में तो भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी, लेकिन विधानसभा में जरूर वह 4 सीटें जीतने में सफल रही थी। इस बार कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला मुकाबला देखने को मिला है। हालांकि राज्य में डीएमके और एआईएडीएम का ही प्रभाव ज्यादा है।
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इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा पिछले कुछ सालों में अपने प्रभाव को बढ़ाया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर भाजपा का नेटवर्क डीएमके और अन्नाद्रमुक के मुकाबले काफी कमजोर है। चूंकि ये दोनों ही दल राज्य की सत्ता में रहे हैं, इसलिए उनकी योजनाओं का प्रभाव भी मतदाताओं के बीच ज्यादा है।  
मोदी ने की भाषा की बात : बावजूद इसके भाजपा कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों से उम्मीद है। इनमें कोयंबटूर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामुलाई, चेन्नई दक्षिण सीट पर पूर्व राज्यपाल तमिलसाई सौंदराजन तथा कन्याकुमारी से पी. राधाकृष्णन प्रमुख हैं। भाजपा ने तमिलनाडु में 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि 2019 में 5 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तलिनाडु में भाषा और संस्कृति का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया।
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उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की पारंपरिक इडली और डोसा देश और विदेश में उपलब्ध है, वह चाहते हैं कि तमिल भाषा, जो सबसे पुरानी भाषा है, उसे दुनिया में उचित मान्यता मिले। वे यह भी बताना नहीं भूले कि संयुक्त राष्ट्र में भाषण के दौरान उन्होंने तमिल में बात की। हालांकि मोदी के भाषण की इन बातों का लोगों पर कितना असर होगा यह तो लोकसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा। Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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