बिहार में वर्तमान लोकसभा चुनाव और पिछले वर्षों में हुए चुनावों में हिंसा के आँकड़ों में एक बड़ा फासला दिखाई देता है।
चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात बिहार में इस बार इससे संबंधित हिंसा में कमी दर्ज की गई है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जहाँ चुनावी हिंसा में 19 लोग मारे गए थे वहीं इस बार अब तक संपन्न तीन चरण के चुनाव के दौरान सात लोग मरे हैं।
राज्य में चार चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न होने हैं जिसमें से 16, 23 तथा 30 अप्रैल को तीन चरणों का मतदान कार्य समाप्त हो चुका है तथा चौथे चरण का मतदान सात मई को है। इन तीन चरणों के दौरान कुल सात लोग मारे गए।
राज्य निर्वाचन कार्यालय से जारी आँकड़ों के मुताबिक 1999 के लोकसभा चुनाव में 76 तथा 2000 के विधानसभा चुनावों में सुरक्षा बलों समेत 61 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।
इसी तरह 2001 में संपन्न स्थानीय तथा निगम चुनावों में 191 लोग मारे गए थे। गौरतलब है कि 1999 के चुनाव में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा और कथित धाँधली के मामलों से निर्वाचन आयोग की भूमिका जाँच के दायरे में आ गई थी।
उल्लेखनीय है कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग ने डॉक्टर के जे. राव को राज्य में विशेष पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात किया था तथा इससे चुनावी हिंसा में गिरावट आती देखी गई।
2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान 19 तथा 2005 के विधानसभा चुनाव में 27 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।