सालभर पहले गैरकांग्रेस और गैरभाजपा विकल्प के रूप में खड़ा हुआ तीसरा मोर्चा चुनावी नतीजों के बाद डगमगा गया है। इसके साझेदार भी बिखरने लगे हैं।
चुनाव बाद के हालात पर चर्चा के लिए होने वाली तीसरे मोर्चे की पूर्वनिर्धारित बैठक को रद्द कर दिया गया है, जबकि मोर्चे के प्रमुख घटक जद(एस) के कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधनों का समर्थन करने की संभावना है।
बसपा सुप्रीमो एवं उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के कल दिल्ली पहुँचने की उम्मीद है, लेकिन उनकी वाम दलों के नेताओं के साथ कोई बैठक प्रस्तावित नहीं है। तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के दिल्ली आने की संभावना नहीं है।
भाकपा महासचिव एबी बर्धन ने हालाँकि कहा कि तीसरे मोर्चे के साझेदार हमारे साथ हैं। सभी को देखना है कि आगे क्या कदम उठाना है और किन नीतियों को अपनाकर आगे मजबूत बना जा सकता है।
कल की बैठक के बारे में फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता देबब्रत बिस्वास ने कहा अब बैठक की जरूरत नहीं है। मोर्चे का गठन केन्द्र में सरकार बनाने के लिए किया गया था।