हिंदू परंपरा में ग्रहण का महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैसा आप सभी को विदित है ग्रहण दो प्रकार के होते हैं- सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण। सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण भी मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं-खग्रास और खंडग्रास।
जब ग्रहण पूर्णरूपेण दृश्यमान होता है तो उसे खग्रास एवं जब ग्रहण कुछ मात्रा में दृश्यमान होता है तब उसे खंडग्रास कहा जाता है किन्तु जब ग्रहण बिल्कुल भी दृश्यमान नहीं होता तो उसे मांद्य चन्द्रग्रहण कहा जाता है।
खग्रास व खंडग्रास ग्रहण का समस्त द्वादश राशियों पर व्यापक प्रभाव माना जाता है किन्तु मांद्य ग्रहण का जनमानस पर कोई व्यापक प्रभाव नहीं होता इसलिए श्रद्धालुओं पर मांद्य ग्रहण के यम-नियम आदि प्रभावी नहीं होते।
कार्तिक पूर्णिमा को होगा मांद्य चंद्रग्रहण- 30 नवंबर 2020 कार्तिक पूर्णिमा को मांद्य चंद्रग्रहण होगा। इस ग्रहण का स्पर्श काल अपरान्ह 1 बजकर 02 मिनट और मोक्ष- सायंकाल 5 बजकर 23 मिनट पर होगा।
शास्त्रानुसार मांद्य चंद्रग्रहण का कोई धार्मिक महत्त्व नहीं होने के कारण यह महज़ एक खगोलीय घटना होगी जिसका जनमानस पर कोई व्यापक प्रभाव नहीं होगा इसलिए इस ग्रहण के सूतक-यम-नियम आदि जनमानस के लिए प्रभावी नहीं होंगे।