1. उपच्छाया चंद्र ग्रहण : 25 मार्च को उपच्छाया चंद्र ग्रहण रहेगा जिसका पहला स्पर्श काल भारतीय समयानुसार सुबह 10:24 बजे, परमग्रास दोपहर 12:43 बजे और उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श काल दोपहर 03:01 बजे रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे और 36 मिनट होगी।
कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण : यह उपछाया चंद्रग्रहण भारत से नहीं दिखाई देगा। यह यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के ज्यादातर हिस्से, नॉर्थ एवं ईस्ट एशिया और अफ्रीका के अधिकतर हिस्से, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के क्षेत्र में दिखाई देगा।
सूतक काल मान्य होगा या नहीं : सूतक काल वहां मान्य होता है जहां पर चंद्र ग्रहण दिखाई देता है। सूतककाल को अशुभ समय माना जाता है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं और साथ ही खास नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों में भोजन और पानी को शुद्ध करके ही लेते हैं। ग्रहण की समाप्त के बाद घर को शुद्ध करते हैं। पानी को तुलसी का पत्ता डालकर शुद्ध करते हैं।
2. खंडग्रास चंद्र ग्रहण : 18 सितंबर बुधवार को रहेगा। भारत में नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण यूरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक समुद्री क्षेत्र, हिंद महासागर, आर्कटिक तथा अन्टार्कटिका में दिखाई देगा।
उपछाया चंद्र ग्रहण उस चंद्र ग्रहण को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया यानी पेनुम्ब्रा में आ जाता है। इससे उपछाया चंद्र ग्रहण लगता है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आती है तो उसे 'चंद्र ग्रहण' कहते हैं, इस दौरान पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है और एक सीधी रेखा बन जाती है, इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती है लेकिन 'उपछाया चंद्र ग्रहण' या 'पेनुमब्रल' के दौरान चंद्रमा का बिंब धुंधला हो जाता है और वो पूरी तरह से काला नहीं होता है इस वजह से चांद थोड़ा 'मलिन रूप' में दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण हमेशा 'पूर्णिमा' को लगता है।