भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा और कांग्रेस जनता को रिझाने के लिए एक मुफ्त का दांव खेलने के साथ एक दूसरे के मुद्दों को हथियाने की होड़ लगी है। सूबे में सत्ता की वापसी में जुटी कांग्रेस ने चुनाव से पहले जनता को 5 प्रमुख वचन देने का एलान कर वोटरों को रिझाने की कोशिश की तो भाजपा सरकार ने ताबड़तोड़ जनता को सौगातें देकर कांग्रेस के चुनावी कार्ड को हथिया लिया। वहीं कांग्रेस ने अब 11 गारंटी का एलान कर एक नया दांव चल दिया है।
कांग्रेस की चुनावी गारंटी- चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने 11 गारंटी प्रदेश की जनता को दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मुतबिक कांग्रेस के 11 वचनों में महिलाओं के लिये 1500 रुपए प्रतिमाह और 500 रुपए में गैस सिलेंडर शामिल है। पूरे घर के लिये 100 यूनिट बिजली फ़्री और 200 यूनिट का बिजली बिल हाफ होगा। इसके साथ किसानों के लिये कर्जमाफी, 5 हॉर्स पावर के सिंचाई पंप के लिये स्थाई और अस्थाई कनेक्शन पर फ़्री बिजली, 12 घंटे सिंचाई के लिए बिजली, पुराने बिजली बिल माफ़ करने और किसानों के मुक़दमे वापस करने का वचन भी शामिल है। इसके साथ ही कांग्रेस ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का वादा करने के साथ ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने औऱ जातिगत जनगणना का भी वादा किया है।
शिवराज सरकार ने निकाला कांग्रेस की गारंटी का तोड़- कांग्रेस की गारंटी का तोड़ निकालते हुए भाजपा सरकार ने चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना लाकर महिलाओं को प्रतिमाह 1250 रुपए देने के साथ इसको 3 हजार रुपए तक बढ़ाने का एलान कर दियाहै। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की गरीब महिलाओं का बिजली बिल 100 रुपए महीना करने का एलान कर दिया है। वहीं कांग्रेस के 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने के वादा का तोड़ निकालते हुए रविवार को मुख्यमंत्री ने सावन के महीन में 450 रुपए में गैस सिलेंडर की घोषणा करने के साथ इसे स्थाई करने का वादा भी कर दिया। वहीं मुख्यमंत्री ने सितंबर तक बढ़े बिजली नहीं वसूलने का भी एलान कर दिया।
रविवार को भोपाल में लाड़ली बहना के राज्यस्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि सावन के अवसर पर लाड़ली बहनों को एक रसोई गैस सिलेण्डर 450 रूपये में पड़ेगा। इसके साथ लाड़ली बहनों के हित में रसोई गैस सिलेण्डर के लिये आगे स्थायी व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गैस एजेन्सी से जानकारी प्राप्त करेगी तथा सावन के इस पवित्र अवसर पर लाड़ली बहनों को 600 रूपये प्रतिमाह तक की राशि की प्रतिपूर्ति उनके बैंक खातों में राशि डालकर की जायेगी। ताकि बहनों को रसोई गैस सिलेण्डर की लागत 450 रूपये ही आये।
महिला वोट बैंक को साधने के लिए बड़ी घोषणाएं-
सावन के पवित्र अवसर पर बहनों को 450 रूपये में रसोई गैस सिलेण्डर मिलेगा। बाद में स्थायी व्यवस्था की जाएगी ताकि बहनें परेशान न हों।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में बहनों को प्रतिमाह दी जा रही 1000 रूपए की राशि के स्थान पर अक्टूबर माह से 1250 रूपये की राशि दी जाएगी।
पुलिस सहित अन्य भर्तियों में 35 प्रतिशत बहनों को नियुक्तियां दी जायेगी। शिक्षकों के पदों पर 50 प्रतिशत बहनें नियुक्त होंगी। स्थानीय निकायों में एल्डरमैन और अन्य पदों पर महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।
यदि बहनें नहीं चाहेंगी तो किसी क्षेत्र में मदिरा की दुकान नहीं खुलेगी। इसके लिए आबकारी नीति में परिवर्तन किया जायेगा।
गाँव में निःशुल्क भूखंड और शहरों में अतिक्रमण से मुक्त जमीन पर भूखंड बहनों को दिये जाएंगे। मुख्यमंत्री आवास योजना में भी लाभ दिया जायेगा।
सितंबर तक बढ़े हुए बिजली बिल की वसूली नहीं होगी। सिर्फ सौ रूपए तक बिल आएगा।
मजरों-टोलों में जिनके घर बिजली नहीं है, वहाँ बीस घर की बस्ती में भी बिजली दी जाएगी। बिजली देने के लिए 900 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
लाड़ली बेटियों को मामा पढ़ाएगा। उनकी फीस भरवाई जाएगी, ताकि बेटियाँ भी ठीक से पढ़ सकें।
जितनी भी लाड़ली बहना हैं वे सभी आजीविका मिशन के अंतर्गत आएंगी, उन्हें लोन भी मिलेगा जिससे वे अपना काम शुरू कर सकें। इस लोन का ब्याज मध्यप्रदेश की सरकार भरेगी।
इंडस्ट्रियल एस्टेट्स में बहनों को उद्यमिता के लिए प्लॉट प्राथमिकता से दिए जाएंगे।
गांवों में बहनों को रहने के लिए भू-खंड दिया जाएगा। शहर में माफिया से छीनी गई भूमि पर बहनों के रहने के लिए प्लॉट दिया जाएगा।
बढ़े हुए बिजली बिलों की वसूली बहनों से नहीं की जाएगी, बढ़े बिजली बिलों से बहनों को मुक्ति मिलेगी।
महिला वोटर्स बनेगी गेमचेंजर-मध्यप्रदेश विधानसभ चुनाव में महिला वोटर्स गेमचेंजर की भूमिका में है। प्रदेश में करीब साढ़े पांच करोड़ वोटरों में महिला वोटर्स की संख्या दो करोड़ 60 लाख है, यानि कुल वोटरों में 48 फीसदी महिला वोटर है। वहीं जनवरी में मध्यप्रदेश चुनाव आयोग ने जो नई वोटर लिस्ट जारी की उसमें नए वोटरों में महिलाओं की संख्या अधिक है। वहीं प्रदेश की 52 जिलों में 41 जिले ऐसे है जहां पर महिला वोटरों के नाम ज्यादा जुड़े है। प्रदेश में महिला वोटरों की संख्या 7.07 लाख बढ़ी है जबकि नए पुरुष मतादाताओं की संख्या 6.32 लाख बढ़ी है। ऐसे में मध्यप्रदेश चुनाव में महिला वोटरों को साधना सियासी दलों के लिए एक जरूरी मजबूरी है।