भोपाल। मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर बना सस्पेंस आज शाम 4 बजे खत्म हो जाएगा। आज शाम 4 बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय में होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का चुनाव हो जाएगा। मध्यप्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर,ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. के लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त होंगें।
कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री?- मध्यप्रदेश में 3 दिसंबर को आए चुनाव नतीजे में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के प्रचंड बहुमत मिलने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रदेश का नया मुख्यमंत्री कौन होगा। सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश का नया सीएम ओबीसी या सामान्य वर्ग से आएगा। वहीं जातिगत समीकरण को साधने के लिए पार्टी प्रदेश में दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू करने की तैयारी में है।
वहीं पार्टी अगर सामान्य वर्ग से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाती है तो भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम सबसे आगे चल रहा है। मध्यप्रदेश में चुनाव अभियान सीमित के अध्यक्ष के तौर पर भाजपा को प्रचंड़ जीत दिलाने में अहम रणनीतिकार की भूमिका निभाने वाले नरेंद्र सिंह तोमर की केंद्रीय हाईकमान प्रदेश की कमान सौंप सकता है। नरेंद्र सिंह तोमर एक अनुभवी राजनेता है और केंद्र में मंत्री रहते हुए अपनी प्राशसनिक क्षमता का परचिय दे चुके है। इसके साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर की संगठन पर तगड़ी पकड़ मानी जाती है, उनके नेतृत्व में भाजपा दो बार 2008 और 2013 में सत्ता में आ चुकी है।
वहीं सामान्य वर्ग से आने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मुख्यमंत्री की रेस में आगे है। वीडी शर्मा ने अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय देते हुए प्रदेश के करीब 65 हजार बूथों पर जो कार्य किए उसने प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत की नींव रख दी। वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश में 48.66 फीसदी से वोट शेयर हासिल कर अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। वीडी शर्मा की गिनती संघ के करीबी नेताओं में होती है ऐसे में पार्टी अनुभवी और युवा चेहरों के बीच सामंजस्य बैठाते हुए उनके नाम पर मोहर लगा सकती है।
वहीं मुख्यमंत्री की रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल है। मार्च 2020 में अपने 19 समर्थक विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी सियासी हल्कों में मुख्यमंत्री की रेस में शामिल किया जा रहा हो लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह भाजपा के एक खेमा अब भी सिंधिया को स्वीकार नहीं कर पाया है।