भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से भाजपा में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव से ठीक पहले बुंदेलखंड़ संभाग में भाजपा दो भागों में नई और पुरानी भाजपा में बंटती हुई दिखाई दे रही है। चुनावी साल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक और शिवराज सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और मंत्री भूपेंद्र सिंहं खुलकर आमने-सामने आ गए है।
बुंदेलखंड संभाग में सियासी हालात इतने अधिक बिगड़ गए है कि बड़े मंत्रियों के बीच टकराव को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर से आने वाले तीनों मंत्रियों को भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और गोपाल भार्गव के साथ भाजपा विधायक प्रदीप लारिया और शैलेंद्र जैन को बुलाया और आपसी विवाद खत्म करने की समझाइश दी। मुख्यमंत्री ने चुनाव का हवाला देने के साथ विवाद के चलते सरकार और संगठन की छवि को नुकसान पहुंचने का हवाला देते हुए आपसी मतभेद को खत्म करने की समझाइश देते हुए अर्नगल बयानबाजी नहीं करने की दो टूक चेतावनी दी।
भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत में टकराव क्यों?-सुरखी विधानसभा सीट पर वर्तमान में सिंधिया समर्थक एवं शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कब्जा है। सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने से पहले गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह चुनावी मैदान में आमने-सामने आ चुके है। भाजपा के बागी नेता राजकुमार धनौरा गोविंद सिंह राजपूत को खिलाफ चुनावी ताल ठोंक रह है। राजकुमार धनोरा मंत्री भूपेंद्र सिंह के रिश्तेदार है औऱ पिछले साल उन्होंने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ बयानबाजी करने पर भाजापा से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया था।
मंत्री गोविंद सिहं राजपूत के खिलाफ चुनाव ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे राजकुमार धनौरा सागर से भाजपा सांसद राजबहादुर सिंह के भी करीबी रिश्तेदार है। वहीं भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच चल रही खींचतान में अब राजबहादुर सिंह भूपेंद्र सिंह के साथ है। पिछले दिनों उन्होंने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश राजपूत की सोशल मीडिया पर लिखी टिप्पणी पर निशाना साधते हुए लिखा कि कुछ लोगों की पार्टी में नई एंट्री हुई है, इसलिए वह सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख रहे है, यह भाजपा की रीति नीति नहीं जानते है और ऐसे नई एंट्री करने वालों की ट्रेनिंग होनी चाहिए।
सागर में टिकट को लेकर सीधा टकराव!- सागर विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक शैलेंद जैन का कांग्रेस से भाजपा में आए सुशील तिवारी से सीधा विरोध है। तीन बार के विधायक शैलेंद्र जैन को टिकट कटने का डर महापौर चुनाव में उनके सगे भाई की पत्नी के कांग्रेस के टिकट पर महापौर चुनाव लड़ने से है। शैलेंद्र जैन मंत्री गोपाल भार्गव के कट्टर समर्थक है। वहीं सुशील तिवारी का मंत्री भूपेंद्र सिंह का करीबी माना जाता है। वहीं कांग्रेस से भाजपा में पूर्व विधायक बृजबिहारी पटेरिया रहली से मंत्री गोपाल भार्गव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके और उनको गोपाल भार्गव का विरोधी माना जाता है। वहीं बृजबिहारी पटेरिया को मंत्री भूपेंद्र सिंह भाजपा में लेकर आए है। ऐसे में अब मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह भी आमने सामने आ गए है।
दरअसल भाजपा के बड़े नेताओं की बीच आपसी अदावत कोई नई नहीं है। तीनों ही मंत्रियों के बीच लंबे समस्य से वर्चस्व की सियासी जंग चल रही थी जो अब चुनाव से ठीक पहले खुलकर सामने आ गई है। वर्चस्व की लड़ाई की मुख्य वजह तीनों ही नेताओं का अपना सियासी रसूख है, जिसके चलते तीनों के हित आपस में ठकराते रहते है।