1. कमलनाथ-दिग्गी पर ज्यादा भरोसा : कांग्रेस ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से बड़ा नेता किसी को नहीं बनने दिया। कमलनाथ की उम्र 77 साल और दिग्विजय सिंह की उम्र 76 साल है। ऐसे में युवा नेताओं को कम तवज्जो दी गई। मीडिया के सामने वे भले ही एक-दूसरे की गलबहियां करते दिखाई दिए, लेकिन कहीं न कहीं उनमें समन्वय की कमी थी।
2. शिवराज की लोकप्रिय छवि : कांग्रेस में जहां कमलनाथ का रवैया तानाशाही रहा है, वहीं दूसरी ओर भाजपा इसलिए आगे निकली कि एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ के विपरीत जमीनी नेता हैं, वे लोगों और विधायकों की सुनते भी हैं, बोलते भी हैं। शिवराज सिंह चौहान की सरल छवि कमलनाथ की छवि पर भारी पड़ी।
5. सपा ने पहुंचाया नुकसान : चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन का समन्यवय भी नजर नहीं आया। सपा ने 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद सपा ने कांग्रेस के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार उतारे। इसे लेकर कांग्रेस और कमलनाथ का अखिलेश से टकराव भी देखने को मिला था। इसके बाद अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल होने पर विचार करने जैसी बातें कह दी थीं। Edited By : Sudhir Sharma