अपने ही गढ़ नीमच में अंतर्कलह में उलझी भाजपा, तीनों सीटों पर संकट

Neemuch election news : नीमच जिले को भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन अंतर्कलह के कारण इस बार हालात बदले-बदले नजर आ रहे हैं। नीमच, मनासा और जावद तीनों ही सीटों पर कार्यकर्ताओं के बागी तेवर भाजपा उम्मीदवारों की मुश्किल बढ़ा सकते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीनों ही सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा ने जावद से राज्य सरकार के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को फिर टिकट दिया है, वहीं मनासा से अनिरुद्ध मारू मारू एवं नीमच से दिलीप सिंह परिहार पर भरोसा जताया है।
 
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री के बेटे एवं मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा जावद से 5वीं बार मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से समंदर पटेल को मैदान में उतारा है। नीमच की राजनीतिक नब्ज पर पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मुस्तफा हुसैन का कहना है कि जावद से भाजपा के ही दिग्गज नेता पूरणमल अहीर ने नामांकन दाखिल कर दिया है। वे गांव-गांव जाकर जल छोड़कर कसम खा रहे हैं कि वे मैदान नहीं छोड़ेंगे। हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। पूरण अहीर की पत्नी सुगना बाई अहीर जिला पंचायत सदस्य हैं।
 
कांग्रेस की तरफ से बालकिशन धाकड़ भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने के लिए खम ठोंक रहे हैं। समंदर पटेल भी धाकड़ समाज से आते हैं। समंदर को पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 33000 के लगभग वोट मिले थे। इस सीट पर धाकड़ वोटरों की संख्या 42 हजार के लगभग है। 17 हजार अल्पसंख्यक हैं, जबकि 18 हजार दलित वोटर हैं।
 
बालकिशन यदि चुनाव मैदान में रहते हैं तो वे भाजपा के वोट काट सकते हैं। क्योंकि बड़ी संख्या में धकड़ वोट भाजपा की झोली में जाते हैं। एंटी ‍इनकम्बेंसी फैक्टर भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि मुख्‍य मुकाबला सकलेचा और समंदर पटेल के बीच ही होना है।
 
नीमच सीट पर भी विरोध कम नहीं : नीमच सीट पर भाजपा उम्मीदवार दिलीप सिंह परिहार को अपनों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है। कांग्रेस ने यहां से उमराव सिंह गुर्जर को टिकट दिया है। मुस्तफा कहते हैं कि भाजपा नेता वीरेन्द्र पाटीदार, शैलेष जोशी, नवल गि‍रि गोस्वामी जैसे नेता परिहार की उम्मीदवारी का विरोध कर हैं। इन तीनों ने ही नामांकन फॉर्म खरीदे हैं। इनमें से कोई भी बागी होकर चुनाव लड़ सकता है। शैलेष जोशी सकल ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष होने के साथ ही संघ से भी लंबे समय से जुड़े रहे हैं।
 
दूसरी ओर, उमराव गुर्जर की ग्रामीण इलाकों में अच्छी पकड़ बताई जा रही है। नीमच शहर में जहां वोटरों की संख्या 1 लाख 8 हजार के करीब है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में करीब 1 लाख 20 हजार वोटर हैं। गुर्जर की किसानों के बीच अच्छी पकड़ है। उमराव मंडी अध्यक्ष और जनपद उपाध्यक्ष रह चुके हैं। परिहार पर भाजपा नेता ही दलाली और अवैध वसूली के आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में परिहार की राहत आसान नहीं दिखाई दे रही है।
 
मनासा में मारू का विरोध : नीमच जिले की मनासा सीट से भाजपा ने एक बार फिर अनिरुद्ध मारू को उम्मीदवार बनाया है। 2018 के चुनाव में मारू ने 25 हजार 954 मतों से सबसे बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं का ही विरोध झेलना पड़ रहा है।
 
मुस्तफा कहते हैं कि पूर्व मंत्री कैलाश चावला, भाजपा नेता विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा उर्फ बिज्जू बना, राजेश लोढ़ा, पुष्कर झंवर जैसे नेताओं ने कार्यकर्ता सम्मेलन कर मारू की उम्मीदवारी का विरोध किया। इन नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 95 प्रतिशत कार्यकर्ता उनके साथ हैं, यदि मनासा में भाजपा ने टिकट नहीं बदला तो यह सीट कांग्रेस के पास चली जाएगी।
 
कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा को टिकट दिया है। नाहटा की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती हैं। वे दिग्विजय मंत्रिमंडल में 10 साल मंत्री भी रहे हैं। उन्होंने पहला विस चुनाव 1985 में मनासा से ही लड़ा था। तब उन्होंने भाजपा उम्मीदवार पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा को उन्हीं के घर में शिकस्त दी थी।
 
सत्तारूढ़ भाजपा को नीमच जिले की तीन सीटों पर अपनों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है। यदि विरोध के स्वरों को समय रहते साधा नहीं गया तो पिछले चुनाव में तीनों सीटें जीतने वाली भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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