Nisha Bangre news: मध्यप्रदेश की राजधानी में निशा बांगरे पिछले कई दिनों से चर्चा में हैं। निशा बांगरे मध्य प्रदेश के छतरपुर की एसडीएम हैं। राज्य सरकार ने मंगलवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वे चुनाव लड़ने के लिए लगातार इस्तीफे की पेशकश कर रहीं थीं। अब चर्चा है कि एक तो अब उनके पास नौकरी नहीं बची है, दूसरी बात यह कि वे जिस सीट से दावा जता रही थीं, वहां कांग्रेस ने मनोज मालवे को टिकट दे दिया गया है। अब सवाल है कि क्या निशा बांगरे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी या कांग्रेस उन्हें किसी दूसरी सीट से टिकट देगी।
आइए जानते हैं कौन हैं निशा बांगरे और क्या है उनसे जुड़ा यह पूरा विवाद।
बता दें कि बालाघाट जिले की निशा बांगरे अनुसूचित जाति से आती हैं। वे एमपीपीएससी से चयनित होकर साल 2018 की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनी। सोमवार तक उनका पद डिप्टी कलेक्टर का था। जब वे इस्तीफा दे रही थीं तब छतरपुर जिले के लवकुशनगर में बतौर एसडीएम पदस्थ थीं। वे कुछ साल पहले बैतूल जिले के आमला में भी पदस्थ रह चुकी हैं। 34 साल की निशा ने इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद गुड़गांव एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब शुरू की थी। यहां काम करते हुए वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगीं। पीएससी की 2016 में हुई परीक्षा पास करने वाली निशा को तब डीएसपी पद मिला था। दूसरी बार में वह डिप्टी कलेक्टर बनीं।
राजनीति में एंट्री : बैतूल जिले के आमला में पदस्थापना के दौरान ही निशा बांगरे की राजनीतिक महात्वाकांक्षा जागृत हो गईं। तभी से वे नौकरी कम, राजनीति में ज्यादा ध्यान देने लगीं। बांगरे ने 12 सितंबर 2023 को सरकार को इस्तीफा भेज दिया था, जो कि कोर्ट के दखल के बाद 23 अक्टूबर 2023 को स्वीकृत हुआ।
जहां से दावा, वहां से मनोज मालवे को टिकट : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान को लेकर अब एक महीना भी पूरा नहीं बचा है। ऐसे में डेप्युटी कलेक्टर रहीं निशा बांगरे के लिए राजनीति में आना महंगा साबित हो सकता है। दरअसल, निशा बांगरे का इस्तीफा तो मंजूर हो गया, लेकिन जिस सीट से वे दावा कर रहीं थीं, वहां से कांग्रेस ने मनोज मालवे को टिकट दे दिया है। ऐसे में अब उनका क्या होगा, यह चर्चा का विषय है।
कैसे घिरीं विवादों में : इसी साल 25 जून को निशा ने बैतूल जिले के आमला में अंतरराष्ट्रीय सर्व धर्म शांति सम्मेलन का आयोजन किया था। यह आयोजन गृह प्रवेश के मौके पर था। इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने छुट्टी मांगी थी, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली। छुट्टी नहीं मिलने से नाराज निशा ने फौरन इस्तीफा दे दिया। उनका आरोप था कि अवकाश नहीं देना उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। यह आरोप लगाकर उन्होंने इस्तीफा दिया, लेकिन राज्य सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी। निशा बांगरे के खिलाफ 21 अगस्त, 2023 को सिविल सेवा आचरण नियम 1985 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए विभागीय जांच शुरू की गई थी।
अपना इस्तीफा मंजूर कराने के लिए निशा बांगरे हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट भी गईं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वह हाई कोर्ट जबलपुर के पास गईं। हाई कोर्ट ने शासन को निर्देश दिए थे कि सोमवार यानी 23 अक्टूबर तक इस मामले का निपटारा किया जाए।
कौन-कौन दे सकता है टिकट?
निशा बांगरे ने मीडिया को बताया कि कांग्रेस ने आमला सीट मेरे लिए छोड़ने की बात कही थी। अब इस्तीफा मंजूर हो गया है, तो उनसे उनका निर्णय पूछा है। उनका जो भी फैसला हो मैं चुनाव लड़ूंगी और सत्य पर चलने वालों की बाधा बनने वालों को जवाब दूंगी
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के अलावा निशा बांगरे बीएसपी, आप और समाजवादी पार्टी के टिकट पर भी चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। अलावा वह निर्दलीय भी चुनाव में उतर सकती हैं।
Edited by Navin Rangiyal