हर व्यक्ति की तमन्ना होती है कि वह अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर अपने परिवार के साथ रहे। कुछ ऐसी ही मुराद कैदियों की भी पूरी होने जा रही है, जेल विभाग गंभीर रूप से बीमार और उम्रदराज कैदियों को रिहा करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है, जिसे आचार संहिता हटते ही राज्य शासन को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
वर्ष 02 में राज्यपाल की अनुमति से करीब 200 ऐसे कैदियों को रिहा किया गया था, जो काफी समय से बीमार थे या उम्रदराज हो गए थे। सूत्र बताते हैं कि इसी आधार पर जेल मुख्यालय एक बार फिर गंभीर बीमार और उम्रदराज कैदियों को रिहा करने की तैयारी में हैं।
इसके लिए सभी 120 जेलों में कराए गए सर्वे में लगभग 150 ऐसे कैदी मिले हैं जो गंभीर बीमार हैं। इनके इलाज पर विभाग के सालाना लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में विभाग उन्हें छोड़ने का मन बना रहा है, ताकि वह आखिरी लम्हों को अपने परिवार के साथ गुजार सकें। कमोबेश ऐसी ही स्थिति उम्रदराज कैदियों की भी है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक करीब 130 से 150 के बीच उम्रदराज कैदी हैं, जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी सजा काट रहे हैं। इनके संबंध में भी एक प्रस्ताव जल्द ही राज्य शासन को भेजने की तैयारी है। इस समय प्रदेश की जेलों में करीब 32 हजार कैदी हैं।
क्या हैं नियम : विभागीय अधिकारियों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को अधिकार है कि वे उम्रदराज और गंभीर रूप से बीमार कैदियों के स्वास्थ्य को देखते हुए रिहा कर सकते हैं।-नईदुनिया