प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी के दो महीनों का ग्राफ अब 16 लाख 25 हजार 801 मीट्रिक टन की ऊँचाई पर पहुँच चुका है।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि इंतजाम पुख्ता करने के मकसद से राज्य स्तर पर कायम कंट्रोल रूम किसानों की दिक्कतें दूर करने का सशक्त माध्यम बना और 100 से ज्यादा शिकायतें हल कर दी गई। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही राज्य खाद्य प्रशासन को भरपूर गेहूँ खरीदने के निर्देश दिए थे।
दो महीनों की गेहूँ खरीदी में सबसे ज्यादा 9 लाख 15 हजार 368 मीट्रिक टन की हिस्सेदारी राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के नाम रही है। इसके बाद विपणन संघ ने 4 लाख 49 हजार 855 मीट्रिक टन और भारतीय खाद्य निगम ने 2 लाख 60 हजार 578 मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा। होशंगाबाद संभाग 6 लाख मीट्रिक टन के साथ गेहूँ खरीदने में अव्वल है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर इस बार खरीदी तेज रफ्तार से शुरू की गई थी। उन्होंने साफ कहा था कि इस खरीद में पैसों का टोटा नहीं पड़ना चाहिए। प्रक्रिया शुरू होते ही इस परिप्रेक्ष्य में ही आवश्यक इंतजाम कर किसानों से शुरुआती एक हफ्ते में ही रिकॉर्ड खरीदी कर ली गई थी।
उपार्जित गेहूँ के भंडारण के लिए भी राज्य सरकार मुस्तैद रही है और अब तक 15 लाख 10 हजार मीट्रिक टन गेहूँ गोदामों में सुरक्षित पहुँचा दिया गया है। शेष गेहूँ के परिवहन का काम लगातार जारी है।
किसानों को भुगतान के लिए तयशुदा वक्त में कार्रवाई करके अब तक एक हजार 698 करोड़ रुपए उन्हें दिए जा चुके हैं।
जहाँ तक बारदानों का सवाल है तो राज्य नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य विपणन संघ के पास जरूरत से ज्यादा बारदाने तैयार रखे गए हैं। उपार्जन केन्द्रों पर 70 हजार 580 बारदानों की गठानें उपलब्ध हैं।