राज्य सरकार ने इंटरनेट के इस युग में अपने समस्त शिक्षकों की जानकारी तथा शिक्षा विभाग की समस्त गतिविधियों को ऑनलाइन करने का कार्य राष्ट्रीय सूचना केंद्र (निक) के सहयोग से प्रारंभ किया है। ई-गवर्नेन्स की दिशा में स्कूल शिक्षा विभाग की यह एक महत्वपूर्ण पहल है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस कार्य के दूसरे चरण में स्कूल शिक्षा विभाग एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के 3 लाख 50 हजार शिक्षकों तथा कर्मचारियों के हित में उनकी सेवा पुस्तिकाओं के संधारण की व्यवस्था को कम्प्यूटरीकृत कर ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया है। इतने वृहद स्तर पर इस तरह की ऑनलाइन ई-सेवा पुस्तिका प्रणाली व्यवस्था को लागू कर मध्यप्रदेश ने देश में अपनी तरह की एक अनूठी एवं नवाचारी पहल की है।
शिक्षकों की सेवा पुस्तिकाएँ ऑनलाइन होने से स्थापना संबंधी समस्याओं का त्वरित निराकरण संभव हो सकेगा। इस प्रकार स्कूल शिक्षा विभाग में अब एक मानव संसाधन प्रबंधन सूचना प्रणाली विकसित होगी जिसके माध्यम से विभिन्न प्रशासकीय एवं अकादमिक गतिविधियाँ प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जा सकेंगी।
ऑनलाइन ई-सेवा पुस्तिका प्रणाली के क्रियान्वयन होने से शिक्षकों को अनेक लाभ होंगे। इसमें स्थापना, क्रमोन्नति एवं वित्तीय स्वत्वों के निराकरण में पारदर्शिता एवं गति आएगी तथा अपडेट वरिष्ठता सूची हर समय ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी। साथ ही इस व्यवस्था में अध्यापक संवर्ग में त्वरित एवं सहज संविलियन शिक्षकों की समस्याओं का त्वरित एवं पारदर्शी निराकरण शिक्षकों की नियत समय पर पदोन्नति, क्रमोन्नति न्यायपूर्ण स्थानांतरण की व्यवस्था, वार्षिक सेवा का स्वमेव सत्यापन तथा सभी शिक्षकों, कर्मचारियों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण देना संभव होगा।
शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान चिह्नित इंटरनेट एजेंसी के द्वारा शिक्षकों की जानकारी ऑनलाइन रूप से एजुकेशन पोर्टल में प्रविष्ट कराई जाएगी। इस कार्य के सुचारु संपादन के लिए जिला शिक्षा केन्द्र के प्रोग्रामर का भी तकनीकी सहयोग लिया जाएगा। कार्य पर होने वाला व्यय विभाग द्वारा वहन किया जाएगा। शिक्षकों से इस कार्य के लिए कोई राशि नहीं ली जाएगी।
स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के सभी शिक्षकों से अपील की गई है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करते हुए स्वयं की जानकारी को प्रविष्ट करें, ताकि उन्हें देय प्रशासकीय सुविधाओं में गति व पारदर्शिता आ सके।