मुख्यमंत्री सोमवार रात दस बजे ही अपने निवास पर स्थित दफ्तर से फारिग होकर सोने के लिए चले गए थे। वे मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे नीचे आए। सुबह से उनको बधाई देने वालों में विदिशा, बुधनी तथा रायसेन से आए कार्यकर्ताओं की बारी थी। इसके बाद उनका सबसे महत्वपूर्ण काम राज्य के अवर्षा से प्रभावित इलाकों में पेयजल का इंतजाम करने के लिए बुलाई गई बैठक का था।
उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि पेयजल से प्रभावित शहरी और ग्रामीण इलाकों की पेयजल योजनाओं को बिजली बिलों के बकाया के भुगतान नहीं हो पाने के कारण कतई बंद नहीं किया जाए। शिवराज ने भोपाल में पानी के बारे में भी बात की और पूछा कि भोपाल शहर को नर्मदा से पानी जल्द से जल्द दिलाने की व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री बाद में भोपाल दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के विधायक उमाशंकर गुप्ता के साथ भोपाल के अर्जुन नगर बस्ती भी पहुँचे। वहाँ उन्होंने झुग्गीवासियों को भरोसा दिलाया कि वैकल्पिक व्यवस्था के बगैर उनका विस्थापन नहीं होगा।
शिवराज बाद में प्रदेश भाजपा दफ्तर भी पहुँचे और दोपहर बाद विमान से दिल्ली रवाना हो गए। शिवराज का इरादा बारह दिसंबर को भोपाल के उसी जंबूरी मैदान पर शपथ समारोह करना है, जहाँ पर तीन महीने पहले कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित करके उन्होंने भाजपा की विजय का संकल्प दिलाया था।
13वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री के बतौर दूसरी पारी शुरू करने को तैयार शिवराज के चेहरे पर आत्मविश्वास की एक नई इबारत साफतौर पर देखी और पढ़ी जा सकती है। अपनी पहली पारी वे अपनी पार्टी के नेताओं के भरोसे खेल रहे थे तो अब नेता उनके हिसाब से उनकी पारी को आगे बढ़ाने को बेताब हैं।
चुनावी नतीजों के घोषित होने के बाद के चौबीस घंटों के उनके कामकाज को देखकर इसका सहज ही अहसास किया जा सकता है। आठ दिसंबर की सुबह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के लिए एक अलग-सा अहसास लेकर आई थी।
वैसे तो वे चुनावी प्रचार मुहिम की शुरुआत के वक्त से ही भाजपा की जीत को लेकर आश्वस्त थे। चुनावी प्रचार मुहिम के दौरान उमड़ती भीड़ से उपजे आत्मविश्वास के चलते उनको भाजपा की जीत की गंध साफ नजर आ रही थी।
वे भी अछूते नहीं थे: मतदान होने और मतगणना के बीच के 11 दिन लंबे अंतराल के दौरान भी उनसे जो भी मिला, उनके सामने भी वे बेहिचक यह भरोसा दिलाते नजर आए कि बहुमत का जादुई आँकड़ा भाजपा से अलहदा नहीं हैं। उन्होंने अपने आत्मविश्वास से उनके संशय को भी दूर करने की कोशिश की, जो बहुमत से छिटकने और त्रिशंकु विधानसभा की अटकलें लेकर उनके पास आए थे।
लेकिन ईवीएम मशीनों के नतीजे उगलने के ठीक पहले जो धुकधुकी किसी के भी मन में हो सकती है उससे शिवराज भी अछूते नहीं थे। इसलिए सुबह से मुख्यमंत्री निवास पर इंतजार कर रहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथियों की भीड़ से वे तभी रूबरू हुए जब उन्हें यकीन हो गया कि भाजपा पहली बार लगातार सत्ता के साकेत का नियंत्रण करने वाली है।
हालाँकि मुख्यमंत्री ने कैफियत भी दी कि संगठन की ओर से जो निर्देश मिला था, उसके तहत ही वे मीडिया से देर से रूबरू हुए। वैसे शिवराज सुबह से ही टीवी पर नजरें गड़ाए बैठे थे। उनके साथ थे प्रदेश भाजपा के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार और राज्य में भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों में से एक अनिल दवे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर भी उनके पास आ गए थे।
लड्डू खिलाते रहे : चुनावी रुझान मिलने के बाद सोमवार की दोपहर मुख्यमंत्री निवास पर भोपाल के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ने लगा था तो उनके राजनीतिक गुरु सुंदरलाल पटवा भी वहाँ जा पहुँचे।
शिवराज दो बार पार्टी कार्यालय भी पहुँचे। सुबह उनकी काबीना के सबसे पहले सदस्य के रूप में मुलाकात करने वालों में कैलाश विजयवर्गीय थे तो शाम ढलते-ढलते पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपनी बहू कृष्णा गौर के साथ उनको बधाई देने जा पहुँचे।
फिर नरेला में बेहद प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के दाहिने हाथ समझे जाने वाले भोपाल के महापौर सुनील सूद को हराने वाले विश्वास सारंग भी उनको बधाई देने जा पहुँचे। तो उदयपुरा से चुनाव हारे रामपाल सिंह और सिरोंज से चुनाव जीतकर गुलाल में रंगे जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी आए।
मुख्यमंत्री सबको बूँदी के लड्डू खिलाते रहे। पटाखे फूटते रहे। शाम को उनसे मिलने के लिए वरिष्ठ अफसरों का ताँता भी लगने लगा। अपर मुख्य सचिव विनोद चौधरी, प्रशांत मेहता, अरविंद जोशी, संजय राणा, मनोज श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव के साथ ही पुलिस महानिदेशक एसके राऊत सहित कई भारतीय पुलिस सेवा के अफसर उन्हें बधाइयाँ देने पहुँचे। (नईदुनिया)