इंदौर (मध्यप्रदेश)। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 'कूड़े से कमाई' की परिकल्पना के आधार पर गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने का 550 टन दैनिक क्षमता का नया संयंत्र लगाया गया है। इसमें बने पर्यावरण हितैषी ईंधन की मदद से हर रोज करीब 300 सिटी बसें (शहरी लोक परिवहन वाहन) दौड़ेंगी।
इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी और इंदौर नगर निगम (आईएमसी) की आयुक्त प्रतिभा पाल ने इस संयंत्र का निरीक्षण किया जहां जल्द ही बायो-सीएनजी उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। यह संयंत्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर लगाया गया है।
आईएमसी आयुक्त पाल ने बताया कि यह देश भर में अपनी तरह का पहला संयंत्र है जो कूड़े से कमाई की परिकल्पना पर आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था का बढ़िया उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र में हर रोज 550 टन गीले कचरे से मुख्यत: बायो-सीएनजी और कुछ मात्रा में कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकेगी।
पाल ने बताया कि इस संयंत्र में बनी बायो-सीएनजी से शहर में हर रोज करीब 300 सिटी बसें दौड़ेंगी। इससे आबो-हवा की हिफाजत के साथ ही सिटी बसों के ईंधन बिल में बड़ी कटौती भी होगी।
उन्होंने बताया कि यह संयंत्र एक निजी कम्पनी के निवेश से स्थापित किया गया है और इसमें आईएमसी के खजाने से कोई पूंजी नहीं लगाई गई है, बल्कि इसे गीला कचरा मुहैया कराने के बदले निजी कम्पनी की ओर से शहरी निकाय को हर साल 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा।
पाल ने करार के हवाले से बताया कि निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को संयंत्र से बेची जाने वाली बायो-सीएनजी का दाम सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से 5 रुपए प्रति किलोग्राम कम रखा जाएगा।
मोटे अनुमान के मुताबिक कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा किया जाता है, जिसमें 600 टन गीला कचरा और 600 टन सूखा कचरा शामिल है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के वर्ष 2017, 2018, 2019 और 2020 के स्वच्छता सर्वेक्षणों के दौरान इंदौर देश भर में अव्वल रहा था।
2021 के स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम 20 नवंबर (शनिवार) को घोषित होने वाले हैं और शीर्ष स्थान के लिए इस बार भी इंदौर की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।