50वां खजुराहो नृत्य समारोह, राग बसंत की लय पर बना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024 (21:34 IST)
खजराहो से सारंग क्षीरसागर

50th Khajuraho Dance Festival : यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहों में राग बसंत की लय पर 1484 कथक नृत्य साधकों के थिरकते कदमों ने आज गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रच दिया। हाथों में दीपक लेकर जब लय और ताल के साथ घुंघरू साधकों के कदम मिले तब भारतीय संस्कृति और परंपरा एक साथ मुस्कुरा उठीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्राचीन वाद्य यंत्र नगाड़ा की ताल और नृतकों के घुंगुरुओं की झंकार ने 50वें खजुराहो नृत्य समारोह की ऐतिहासिक उपलब्धि को यादगार बना दिया। 
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक पुनरुत्थान का पर्व मनाया जा रहा है। 
इसी कड़ी में भगवान नटराज महादेव को समर्पित साधना की यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति का गौरव बन भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगी। नृत्य आराधना परमात्मा की साधना का मार्ग है। 
यह ईश्वर से सीधा संपर्क का पवित्र माध्यम हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए नृत्य गुरुओं और नर्तक नृत्यांगनाओं को कीर्तिमान रचने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। 
 
सुप्रसिद्ध नृत्य गुरु राजेंद्र गंगानी की कोरियोग्राफी में प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए नर्तक नृत्यांगनाओं ने 20 मिनट की प्रस्तुति को राग बसंत में निबद्ध कर प्रस्तुत किया।

इंदौर की टीम ने भी लिया हिस्सा : नृत्य में इंदौर की टीम ने भी हिस्सा लिया। इसमें स्मृति आदित्य, विधि नागर, योगिता सरोया सहित 13 कथक कलाकार शामिल थे। 
 
खोला जाएगा गुरुकुल : मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की उपलब्धि को विशेष बनाते हुए खजुराहो में देश के पहले जनजातीय और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि खजुराहो में देश का पहला ऐसा गुरुकुल बनाया जाएगा, जिसमें जनजातीय और लोक कलाओं के शिल्प, नृत्य, गायन, वादन, चित्रकला और उनके मौखिक साहित्य को वरिष्ठ गुरुओं के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी।

खजुराहो में कला विश्वविद्यालय खोला जाएगा, जिसमें सभी तरह की कलाएं सिखाई जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में 64 कलाओं का सृजन रहा है। इस गुरुकुल के माध्यम से कला को और आगे बढ़ाया जाएगा।
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गुरुकुल में जनजातीय और ग्रामीण समुदायों की पारंपरिक कलाओं मसलन शिल्प, नृत्य, गायन, वादन, चित्र और उनके मौखिक साहित्य को वरिष्ठ गुरुओं के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी। 
 
इस गुरुकुल की परिकल्पना इस तरह से होगी, जहां ग्रामीण जनजीवन में उनके समग्र विकास के साथ पारंपरिक हुनर और देशज ज्ञान पद्धतियों को संरक्षण मिलेगा। साथ ही पूर्वजों की विरासत को भी विस्तार मिलेगा।
 
संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी, सांसद खजुराहो वीडी शर्मा, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिवशेखर शुक्ला सहित बड़ी संख्या में कलाप्रेमी और आमजन ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। 

1975 में हुई थी शुरुआत : नृत्य की गरिमा और शास्त्रीयता को समर्पित यह आनंद उत्सव अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। खजुराहो नृत्य महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1975 में की गई थी और तब से आज तक मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा इसका सफल आयोजन निरंतर किया जाता रहा है। 

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