उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों खासकर मंडी बोर्ड के अधिकारियों के दबाव में कार्य करते हुए प्रदेश के किसानों के हितों का ध्यान न रखकर मंडियों को बरबाद करना चाहती है। उन्होंने सवाल खड़ा कि यदि मंडियों में व्यापार नहीं होगा तो मंडी शुल्क कहां से आएगा? व्यापार व्यवसाय व मंडी किसान को सुरक्षित करने के लिए मंडी शुल्क 50 पैसे करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। उसी प्रकार निराश्रित शुल्क व अनुज्ञा पत्र की आवश्यकता को भी समाप्त करने की बात रखी गई है।
अग्रवाल ने कहा कि मप्र कृषि उपज मंडी बोर्ड के कर्मचारियों की मांग के लिए तुरंत बोर्ड की बैठक करके निर्णय लिया गया लेकिन व्यापारियों की मांग 50 पैसे मंडी शुल्क पर जो किसानों के हित व सुरक्षा को ध्यान में रखकर की गई, उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया। इसीलिए 24 सितम्बर से प्रदेश की मंडियां पूर्ण रूप से अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगी। इसके लिए प्रदेश सरकार जवाबदेह होगी।