दवे के भतीजे निखिल दवे ने कहा, 'वह (अनिल माधव दवे) हमसे कहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई स्मारक न बनाया जाये। अगर कोई व्यक्ति उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखना चाहता है, तो वह पौधे लगाकर इन्हें सींचते हुए पेड़ में तब्दील करे और नदी-तालाबों को संरक्षित करे।
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज की प्रति वायरल हो रही है जिसे दवे की कथित आखिरी इच्छा और वसीयत से जुड़ा बताया जा रहा है। इस दस्तावेज पर 23 जुलाई 2012 का दिनांक अंकित है। इस दस्तावेज पर उनका अंतिम संस्कार बांद्राभान में वैदिक रीति से किए जाने, उनकी अंत्येष्टि में किसी तरह का आडम्बर न किए जाने, उनका स्मारक न बनाए जाने, उनकी याद में कोई प्रतियोगिता और पुरस्कार न शुरू किये जाने सरीखी बातों का जिक्र है।