Dhar bhojshala news in hindi : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह ASI सर्वे शुरू हो गया। इस बीच मुस्लिम पक्ष ने सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शरण ली है।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गुरुवार को ही धार पहुंच गई थी। समिति को 6 सप्ताह के अंदर सर्वेक्षण की एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।
सरस्वती मंदिर : ऐतिहासिक और सरकारी दस्तावेजों में यह जिक्र है कि भोजशाला, सरस्वती सदन है, जिसकी स्थापना राजा भोज ने की थी। यहां परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईस्वी तक शासन किया था।
बताया जाता है कि राजा भोज ने 1034 में सरस्वती सदन की स्थापना की थी। यह एक कॉलेज था, जो आगे चलकर भोजशाला हो गया है। यहां शिक्षा हासिल करने दूर-दूर से लोग आते थे। राजा भोज के शासनकाल में ही यहां सरस्वती मां की मूर्ति स्थापित की गई थी, जिन्हें वाग्देवी भी कहा जाता है।
धार जिले की सरकारी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भोजशाला राजाभोज के समय एक बड़ा अध्ययन का केंद्र था। यहां सरस्वती मंदिर भी था। बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। भोजशाला में मंदिर था, इसके अवशेष आज भी कमाल मौलाना मस्जिद में दिखते हैं।
कमाल मौला की मस्जिद : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को धार जिले के विवादास्पद भोजशाला परिसर का छह सप्ताह के भीतर एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का सोमवार को निर्देश दिया। एएसआई के संरक्षित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को हिन्दू वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताता है।
मंगलवार को पूजा की व्यवस्था : एएसआई के सात अप्रैल 2003 को की गई एक व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।