भोपाल। महात्मा गांधी की हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर भाजपा के खिलाफ अक्सर मुखर होने वाले कांग्रेस में गोडसे समर्थक की एंट्री पर सियासी गदर छिड़ गया है। ग्वालियर में हिंदू महासभा के नेता रहे चुके बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कमलनाथ के फैसले पर उनकी ही पार्टी के बड़े नेता अरुण यादव ने सवाल उठा दिए है जिससे पूरी कांग्रेस ही कठघरे में खड़ी हो गई है।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजदूगी में हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया कांग्रेस में शामिल हुए थे। हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया ग्वालियर के वार्ड-44 से पार्षद तो रह चुके है लेकिन 2017 में वह तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने ग्वालियर में बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाकर उसकी पूजा की थी।।
वहीं पूरे मामले पर विवाद बढ़ने पर बाबूलाल चौरसिया ने अपनी सफाई में कहा कि “मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं। हिन्दू महासभा ने मुझे अंधेरे में रखकर गोडसे की पूजा कराई थी। पिछले 2-3 साल से मैं इनके इस तरह के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रहा था। मेरे मन में हिन्दू महासभा की विचारधारा समाहित नहीं हो सकी”।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि गोडसे का पुजारी अब करेगा कांग्रेस की सवारी। नाथूराम गोडसे के पुजारी को पार्टी में शामिल करने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र ही सामने आता है। उसके लिए तो गांधी के नाम पर सिर्फ तथाकथित गांधी परिवार ही अहम है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी नहीं।